कब तक मैं रुका रहूं, जब फितरत है मेरी बहते रहने की

कब तक मैं चुप चाप रहूं ,जब हसरत है मेरी कहते रहने की
कब तक मैं रुका रहूं, जब फितरत है मेरी बहते रहने की
चलता हूँ दोस्त अब मैं, चुनौती भरे रास्तों पर
आखिर कब तक अटका रहूं,जब फितरत है मेरी ढहते रहने की

रुकना जीवन की जर्नी में, कीचड़ का काम है
बहते रहना हर हाल में ,नदिया का काम है
चलता हूँ दोस्त अब मैं, चुनौती भरे रास्तों पर
आखिर कब तक धीमे से बोलूं , जब फितरत है मेरी चहकते रहने की

एहसान है आपका, इतना कुछ मुझको दिया
दिल्ली को ग्रीन बनाया, इतना प्यार मुझको किया
चलता हूँ दोस्त अब मैं, चुनौती भरे रास्तों पर
कब तक चलूँ सीधा मैँ, जब फितरत है मेरी भटकते रहने की

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Puneet Verma is a passionate traveler, environment blogger, techie and nature lover. He owns a beautiful community of 400+ environment enthusiasts at missiongreendelhi.com. Join MGD's #Delhikabagh latest environment awareness campaign and tag @missiongreendelhi and #Delhikabagh on Facebook and Instagram with your environment friendly posts.

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