वायु रथ पर मेघों का मेला – भूपेश खत्री की कलम से

वायु रथ आरूढ़ मेघों का मेला
श्याम वर्णी सारथी जल का रेला
भरी जीवन गागर रस का सागर
कुछ उमड़ उमड़ ढुलक रहीं
कुछ घुमड़ घुमड़ पुलक रहीं
अट्टहास है मर्दन का
व्यक्तित्व पूर्ण है सृजन का
हस्त धार-खड्ग विद्युत दंड
व्यापित घनघोर शब्द प्रचण्ड
हृदय आघात ध्वनि से
चपल दामिनी सर्पिणी दर्पित
प्रचण्ड वेग निर्झरणी से
किंचित फुहार ज्यूं मधु प्रहार
सिंचित खचित बहे धार त्वरित
कुबेर के धन सा गर्भ पूर्ण
इंद्र के जल सा रूप धरूं
करूं वृष्टि-दृष्टि फुहार बनूं
चले वज्र बाण तरंगित लय
झंकृत तार संगीत मय
घ्राण-रंध्र परिपूरित सुवास
वसन हरितमय धरा मिठास
लयबद्ध बजे सुरम्य ताल
दादुर संगीत हृदय धमाल
आकंठ पूर्ण द्रवित हाल
मेघ अस्तित्व विलयित धरा
जीवन संचार तृषित हृदया
खंजन नयन मेघ परिपूरित
वज्र तड़ित विहंगम चित्रित
घनघोर स्वर आवेशित
जलबिंदु नृत्य विलासित

Loading

Facebook Comments
mm
Bhupesh Khatri Ji is hindi and urdu poet who belongs to Allahabad. He works as Deputy Director (software) at IGNOU, New Delhi.

2 thoughts on “वायु रथ पर मेघों का मेला – भूपेश खत्री की कलम से

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

17 + 2 =

What are you looking for ?

    ×
    Connect with Us

      ×
      Subscribe

        ×