ग्रीन टेक भी रहेगा , मैं भी हर पल रहूँगा

फूलों जैसा खिलूँगा , नदिया जैसा बहूँगा – ग्रीन टेक भी रहेगा , मैं भी हर पल रहूँगा

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खुद से जो इरादा किया था, तुघ्से जो वादा किया था – उसको फिर ना भूलूंगा, आसमा को छुलूँगा
तेरा ही बस नाम रहेगा, तेरा ही बस ध्यान रहेगा – सब झूटों को छोड़कर, अब तेरा ही बस ज्ञान रहेगा
हरियाली की बात करूंगा, और ना कुछ भी कहूँगा – फूलों जैसा खिलूँगा , नदिया जैसा बहूँगा
ग्रीन टेक भी रहेगा , मैं भी हर पल रहूँगा

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सुख दुःख की अब बात ना होगी, जीत हार की चाह ना होगी – त्याग भोग का जाल कटेगा , नफरत की अब राह ना होगी
दुनिया के इस बाग़ में, भवरा बन कर उडूँगा – फूलों जैसा खिलूँगा , नदिया जैसा बहूँगा
ग्रीन टेक भी रहेगा , मैं भी हर पल रहूँगा
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जात पात का भेद ना होगा , राजनीती का काज ना होगा – मुल्कों के इस जाल में, तत्वों का अब राज ना होगा
साम दाम के जंगल में, इंसान बन कर चलूँगा – फूलों जैसा खिलूँगा , नदिया जैसा बहूँगा
ग्रीन टेक भी रहेगा , मैं भी हर पल रहूँगा

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