सहयोग और समन्वय की विपरीत दिशा में

 

दिल्ली मुंबई बंगलुरु या फिर चेन्नई, कहीं भी चले जाओ. लेकिन हर पल जिससे भी हम मिलते हैं कहीं ना कहीं वो एक अनजान दिल की तरह नजर आता है. हम एक अनजान की तरह उससे मिलते हैं और फिर अपनी डगर पर आगे बढ जाते  हैं. दिन के चोबीस घंटों में हमे वो नहीं मिलता जो हमे ऐसे समझता हो जैसे हम सदीओं से एक साथ हों. कोई ऐसा जिसके साथ हम घंटों चुप भी बैठे हों लेकिन उसका हमारे साथ होना ही हमारे लिए सब कुछ हो, हमारे दिल को ख़ुशी देता हो. दुनिया हाई टेक सी प्रतीत हो रही है और इंसान रोबोट की तरह कार्य करते हुए नजर आते हैं. सभी अपने काम में इस तरह खो गए हैं की जैसे एक रोबोट या फिर कोई मिटटी का पुतला. भावनाओं की दुनिया समाप्त सी होती जा रही है और हर मुस्कुराते चेहरे के पीछे और हर Hi .. Hello .. गुड मार्निंग या गुड evening के पीछे कोई भावना नजर नहीं आती. ऐसा लगता है मानो हमारी बुद्धि को प्रोग्राम कर दिया गया हो की इस इनपुट पे ये output देना है.मुख से निकलने वाले संगीत की जगह मोबाइल के इयर फ़ोन से निकलने वाली खोफ्नाक तरंगों ने ले ली है.  नृत्य कर के मन बहलाने की जगह आज हम एक कुर्सी पर बैठे कंप्यूटर या मोबाइल पर मनोरंजन के नाम पर अपनी आँखों को नुक्सान पहुंचाने में लगे हुए हैं. चेहरे पर चश्मा लगा हुआ है फिर भी एक समझदार रोबोट की तरह कंप्यूटर और मोबाइल से खतरनाक तरंगे खींच रहे हैं और खुश हो रहे हैं.

हम पूरी तरह भूल चुके हैं की कोई भी काम आपसी रिश्तों को खुश्मय बनाने के लिए और अपने आप में सुधार लाने के लिए किया जाता है. लेकिन काम के नाम पर हम दोस्ती, प्यार, मोह्हबत, इज्ज़त चिंता और देखभाल के साथ खिलवार करने में लगे हुए हैं. ना जाने क्यों एक दुसरे से प्यार करने की बजाए  हम race करने में लगे हुए हैं. खेर जो भी हो मुघे अपने मन को इस race से बाहर रखना है ताकि जीवन का भरपूर आनंद लिया जा सके. किसी भी कार्य में तरक्की race करने से नहीं बल्कि सहयोग और समन्वय करने से होती है. जब तक हम race में लगे रहेंगे तब तक हम दुसरे व्यक्ति को नहीं समझ सकते और कभी सफल नहीं हो सकते.  दो रास्ते हैं : एक तो race कर लीजिये और दूसरा सहयोग कर लीजिये.  ये हम पर है की हम क्या  चूस करते हैं. धन्यवाद दोस्त.

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