कार्बन फूट प्रिंट कम हुआ है , ग्रीन हुई है दिल्ली सारी

इंजन को आराम मिला अब, तेल फूकना बंद हो गया – शीतल जल अब घर घर पहुंचा , नदी सूकना बंद हो गया
राम नाम के आने से , आज बुराई फिर है हारी – कार्बन फूट प्रिंट कम हुआ है , ग्रीन हुई है दिल्ली सारी

_________________________________________________

बिजली के उपकरणों को, प्यार से हमने आज बुझाया – प्रोपेन के सिलिंडर को, घर पर हमने कम जलाया
कंजेशंन से रिश्ता टूटा, कार पूल से हुई है यारी – राम नाम के आने से , आज बुराई फिर है हारी
कार्बन फूट प्रिंट कम हुआ है , ग्रीन हुई है दिल्ली सारी

_________________________________________________

मोबाइल फ़ोन को छुट्टी मिल गयी , इअर फ़ोन से कान बचे अब – करते है बस यही दुआ सब , लैपटॉप से भी जान बचे अब
दारु सिगरेट बेन हुए हैं , सुखी हुई है शहर की नारी – राम नाम के आने से , आज बुराई फिर है हारी
कार्बन फूट प्रिंट कम हुआ है , ग्रीन हुई है दिल्ली सारी

पुनीत वर्मा की कलम से

Loading

मुघ्को आज बुलाया है

मृत्युलोक की रात्री में , मन का ये संघर्ष है कैसा – पल पल मेरा कठिन हो रहा , जीवन का ये वर्ष है कैसा
मेरा हाथ पकड़ के तुमने, रस्ता मुघे दिखाया है – ग्रीन टेक की हरी सतह ने, मुघ्को आज बुलाया है

___________________________________________________

एक तरफ कुआँ है दीखता, एक तरफ दिखती है खाई – मन के भीतर सत्य देखकर , खुद से हमने नजर मिलाई
बड़े दिनों के बाद आज फिर , आंसू निकल के आया है – ग्रीन टेक की हरी सतह ने, मुघ्को आज बुलाया है

__________________________________________________

परिवेश हुआ है मन का ऐसा, हर पल मैं तो टूट रहा हूँ – बाग़ के खिलते फूलों से, आज अचानक रूठ रहा हूँ
बिछड़ रहे इन् प्राणों को , खुद से आज मिलाया है – ग्रीन टेक की हरी सतह ने, मुघ्को आज बुलाया है

– पुनीत वर्मा की कलम से

Loading

What are you looking for ?

    ×
    Connect with Us

      ×
      Subscribe

        ×