ग्रीन टेक की कविता गाकर, सुन्दर ये संसार हुआ

शंका की अब सुई टूटी, खत्म हमारा वहम हो गया
जबसे उनकी पीड़ा देखि, खत्म हमारा अहम हो गया
उनको अपने गले लगाकर, सपना ये साकार हुआ
ग्रीन टेक की कविता गाकर, सुन्दर ये संसार हुआ

शिवाजी का काम बिगाड़ा, हाथ मिलाकर औरंगजेब ने
भोंसले ने हार ना मानी, हाथ उठाया फुल वेग से
गोबिंद सिंह जी अमर हुए, वज़ीर खान पर वार हुआ
ग्रीन टेक की कविता गाकर, सुन्दर ये संसार हुआ

आज अचानक सपना देखा, दुश्मन को भी अपना देखा
झट से उनको माफ़ कर दिया, रूप उन्होंने अपना देखा
सागर अपना हृदय बन गया, भावुकता का वार हुआ
ग्रीन टेक की कविता गाकर, सुन्दर ये संसार हुआ

शहर को अपने आज बचाएं, मिशन ग्रीन की कविता गाएँ
करुणा रुपी घी से हर पल, ग्रीन टेक की ज्योत जलाएं
भोग सुदामा के हाथों का, जल्दी से स्वीकार हुआ
ग्रीन टेक की कविता गाकर, सुन्दर ये संसार हुआ

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ऑटो रिक्शा भाग रहा है

autoमिशन ग्रीन की कविता सुनकर, देखो ग्राहक जाग रहा है
बढ़ती इस महंगाई में, थोड़ी राहत मांग रहा है
घर को हम तो लेट हो रहे, महंगे उसके रेट हो रहे
दिल्ली की इन् सड़कों पर जो, ऑटो रिक्शा भाग रहा है

दिल्ली की हम सैर करें अब, छोले चख लें नागपाल के
ऑडियन का पान चबा कर, राउंड लगा लें सिटी वाक के
दरिया गंज का चिकन चंगेजी, ढाबे वाला टांग रहा है
घर को हम तो लेट हो रहे, महंगे उसके रेट हो रहे
दिल्ली की इन् सड़कों पर जो, ऑटो रिक्शा भाग रहा है

इंडिया गेट की सैर कर रहे, चूस रहे हैं हम तो चुस्की
बिल्ले जी की लस्सी पीकर, पड़ी रह गयी घर में व्हिस्की
शहर को अपने साफ़ कर रहा, देखो इंडिया जाग रहा है
घर को हम तो लेट हो रहे, महंगे उसके रेट हो रहे
दिल्ली की इन् सड़कों पर जो, ऑटो रिक्शा भाग रहा है

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आज दिवाली आई है

चम चम करती उषा में, टूटा सबका दिल जुड़ रहा
बच्चों थोड़ा बचकर खेलो, पटाखों का धुंआ उड़ रहा
शहर में अपने दीप जल रहे, घर घर खुशियाँ लाइ है
जल्दी से हम पूजा कर लें , आज दिवाली आई है

लड्डुओं का भोग लगाकर, गणपति को प्यार जताकर
पंडित जी को भूख लग गयी, सबको गीता सार सुनाकर
लक्ष्मी जी के चरणों में , माँ ने आरती गाई है
जल्दी से हम पूजा कर लें , आज दिवाली आई है

बेच रहे हैं नकली मीठा, देखो उल्टा काम कर रहे
धोखा देकर लाला जी, देखो मदिरा पान कर रहे
स्वीट्स बेचकर लाला जी ने, कर ली खूब कमाई है
जल्दी से हम पूजा कर लें , आज दिवाली आई है

मिशन ग्रीन की कविता लिखकर, दुखी हो रहा अपना ये चित्त
पटाखों का धुंआ उड़ाकर , शहर हो रहा हर पल दूषित
देखो ध्वनि प्रदुषण में, दिल्ली आज समाई है
जल्दी से हम पूजा कर लें , आज दिवाली आई है

पुनीत वर्मा की कलम से – मिशन ग्रीन दिल्ली

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