Good Morning Delhi

दिन होता है और हम जाग जाते हैं और जब रात हो जाती है तो हम सो जाते हैं. और अगर हम अपने मन की आँखें खोलें तो पाएंगे की तमस की जरूरत तो इस शरीर को है, मुघ्को नहीं. दिन भर की मेहनत ये शरीर और बुद्धि कर रहे हैं और मैं नहीं क्योंकि मैं तो उस किताब की तरह हूँ जिसमे ज्ञान का भण्डार है और वो अभी हमने खोली नहीं है. हमारे लिए ये जानना बहुत जरूरी है की इस चोबीस घंटे में हमारा मन कितनी बार सोता है और कितनी बार जागता है. हमे इस भोतिक जगत के दिन और रात से ऊपर उठकर अपने मन के दिन और रात के बारे में विचार करना चाहिए. हमारे लिए ये अनुभव करना आवश्यक है की क्या हमारा मन सो रहा है, और अगर वो सो रहा है तो क्या वो कई तरह के भोतिक स्वप्न भी देख रहा है. और अगर वो भोतिक स्वपन देख रहा है तो क्या वो सिर्फ भोतिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए काम कर रहा है ? अगर ऐसा है तो मुघे समझना होगा की भोतिक अवश्यकताएं तो हज़ारों बार जन्म लेती रहती हैं, तो क्या हम अपने मन को उन् हज़ारों भोतिक इच्छाओं के पीछे भगाते रहे. क्या हम यूँ ही हर समय सपनों में खोये रहें ? भोतिक इछाओं की पूर्ती के लिए अपनी इन्द्रीओं को लगाना ठीक नहीं होगा क्योंकि नदी का अंतिम धाम समंदर होता है और हमारे मन का अंतिम धाम एक है. वो है इश्वर. इसलिए हमे आज ही इस गहरी नींद से जागना होगा और अपने मन की आँखों को उस विशाल समंदर के दर्शन कराने होगे जो एक है. अपनी इन्द्रीओं को और उनके द्वारा किये जा रहे कर्मों को उस एक समंदर में लगाना होगा और जिस दिन से हमारी मन रुपी आँखें जाग जाएंगी , उस दिन हमारी नाव उस विशाल समंदर में बिना रुके बहती चली जाएगी और हम परम सुख और शान्ति की प्राप्ति होगी.

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Puneet Verma is a passionate traveler, environment blogger, techie and nature lover. He owns a beautiful community of 400+ environment enthusiasts at missiongreendelhi.com. Join MGD's #Delhikabagh latest environment awareness campaign and tag @missiongreendelhi and #Delhikabagh on Facebook and Instagram with your environment friendly posts.

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