कब होगी बारिश जो बता दे, ऐसा हम इक टूल बनाएं
खेतों में हरियाली आए, जीवन को हम मूल बनाएं
धुंआ उगलती कारों को, ऊपर चढ़ती दीवारों को
हम रोक सकें तो रोक लें, इन धरा की दरारों को
हो सके तो पेड़ लगाएं, आसपास हम फूल उगाएं
खेतों में हरियाली आए, जीवन को हम मूल बनाएं
काहे ये पहाड़ गिर रहे, देखो नदियाँ सूख रही हैं
सदियों से जो प्यास बुझाए, काहे हमसे रूठ रही हैं
बढ़ते तापमान को रोके, ऐसा कोई रूल बनाएं
हो सके तो पेड़ लगाएं, आसपास हम फूल उगाएं
खेतों में हरियाली आए, जीवन को हम मूल बनाएं
मिशन ग्रीन हो जीवन में, ऐसा हम कानून बनाएं
ग्रीन ड्रीम का डोज़ चखें सब, ऐसा कोई स्पून बनाएं
हो सके तो पेड़ लगाएं, आसपास हम फूल उगाएं
खेतों में हरियाली आए, जीवन को हम मूल बनाएं
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Beautiful poem and beautiful message!
Thanks a lot Mrigya Ji …