अपनी तो खत्म हो गयी, अब आपकी बारी है

green

खुदा की मोह्हबत में , मदहोश कायनात सारी है
जब तक वो साथ है, जशने-जिंदगी जारी है
जीवन की जेल में, वर्ना हम जीते कैसे
दर्द ये जीवन का, वर्ना हम पीते कैसे
अपनी तो खत्म हो गयी, अब आपकी बारी है

कहता है अपना ये मन, फिर आपको बुलाऊँ मैं
टकराऊं मेह के प्यालों को, शराब को ड्ढलाऊँ मैं
बंदिश मुघसे जीवन की, क्यों सहन नहीं होती है अब
सोने की ये झूठी लंका, क्यों दहन नहीं होती है अब
नाटक इस जीवन का, देखो अब तक जारी है
अपनी तो खत्म हो गयी, अब आपकी बारी है

करता हूँ सलाम सबको, तो फिर मैँ अब चलता हूँ
डूबते हुए सूरज के साथ, तो फिर मैँ अब ढलता हूँ
हाज़िर कर दूँ खुद को अब, खुदा के दरबार में
खुशियां आएं जीवन में, और इस संसार में
वर्मा के इन् होठों पर , देखो कविता जारी है
अपनी तो खत्म हो गयी, अब आपकी बारी है

Loading

What are you looking for ?

    ×
    Connect with Us

      ×
      Subscribe

        ×