खतम क्रोध का जाम किया है

ग्रीन ब्लॉग का दिया जलाकर,शहर का अपने नाम किया है
मिशन ग्रीन की कविता गाकर, हमने गजब ये काम किया है
प्यार मोह्हबत घर घर फैला,  साफ़ हुआ अब शहर ये मैला
मन को अपने परम शांत कर,  खतम क्रोध का जाम किया है

कबसे जो आधीन थे अपने, आज उन्हें स्वाधीन कर दिया
सत्य मार्ग पर कदम बढ़ाकर, देखो बढ़िया सीन कर दिया
अहम पे अपने विजय प्राप्त कर, आज  विजय  का जाम पिया है
मन को अपने परम शांत कर,  खतम क्रोध का जाम किया है

रजस हो रहे तन को रोका, तमस हो रहे मन को रोका
पड़कर गीता और कुरान को,  भरष्ट हो रहे जन को रोका
रात्रि की शीतलता लाकर , श्वेत को हमने शाम किया है
मन को अपने परम शांत कर,  खतम क्रोध का जाम किया है

– पुनीत वर्मा की कलम से

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