ग्रीन टेक की कविता गाकर, सुन्दर ये संसार हुआ

शंका की अब सुई टूटी, खत्म हमारा वहम हो गया
जबसे उनकी पीड़ा देखि, खत्म हमारा अहम हो गया
उनको अपने गले लगाकर, सपना ये साकार हुआ
ग्रीन टेक की कविता गाकर, सुन्दर ये संसार हुआ

शिवाजी का काम बिगाड़ा, हाथ मिलाकर औरंगजेब ने
भोंसले ने हार ना मानी, हाथ उठाया फुल वेग से
गोबिंद सिंह जी अमर हुए, वज़ीर खान पर वार हुआ
ग्रीन टेक की कविता गाकर, सुन्दर ये संसार हुआ

आज अचानक सपना देखा, दुश्मन को भी अपना देखा
झट से उनको माफ़ कर दिया, रूप उन्होंने अपना देखा
सागर अपना हृदय बन गया, भावुकता का वार हुआ
ग्रीन टेक की कविता गाकर, सुन्दर ये संसार हुआ

शहर को अपने आज बचाएं, मिशन ग्रीन की कविता गाएँ
करुणा रुपी घी से हर पल, ग्रीन टेक की ज्योत जलाएं
भोग सुदामा के हाथों का, जल्दी से स्वीकार हुआ
ग्रीन टेक की कविता गाकर, सुन्दर ये संसार हुआ

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