पल पल बढ़ती इच्छाओं की, बीन बजाना भूल गए

बुद्धा और अशोका जैसे, योद्धाओं का देश है भारत
गीता और रामायण जैसी ,कविताओं का देश है भारत
योद्धा ये तो मन से लड़कर, तीर चलाना भूल गए
पल पल बढ़ती इच्छाओं की, बीन बजाना भूल गए

बृढ़रथ सारे खत्म हुए जब, प्रद्योता का राज था आया
प्रद्योता भी खत्म हुआ जब, शिशुनाग का काज था आया
नन्द वंश के अंतिम राजा, राज चलाना भूल गए
पल पल बढ़ती इच्छाओं की, बीन बजाना भूल गए

सिकंदर को मित्र बनाकर, नन्द वंश का नाश हुआ जब
चाणकय की बात मानकर, चन्द्रगुप्त भी ख़ास हुआ जब
जैन धर्म को गले लगाकर, चन्द्रगुप्त भी झूल गए
पल पल बढ़ती इच्छाओं की, बीन बजाना भूल गए

चंगेज खान का नाम बढ़ाया, चीन में युआनों ने
भारत में भी नाम बढ़ाया, बाबर के बलवानों ने
बाबर बेग जब भारत आया, सांगा के बुलाने पर
लोधी वंश का नाश हुआ तब, दिल्ली के ठिकाने पर
अकबर की हिम्मत के आगे, राणा प्रताप भी झूल गए
पल पल बढ़ती इच्छाओं की, बीन बजाना भूल गए

भारत में जब मुगलों का, औरंगजेब ने नाम बनाया
देश में अपने संधि करके, अंग्रेजों ने काम बनाया
बहादुर शाह भूटान में जाकर, तीर चलाना भूल गए
पल पल बढ़ती इच्छाओं की, बीन बजाना भूल गए

तीर चलाना काम ना आया, बीन बजाना काम ना आया
शान्ति राह पर आगे बढ़कर, हिंसक होना काम ना आया
कृष्ण राम की कविता पड़कर, कविता लिखना भूल गए
पल पल बढ़ती इच्छाओं की, बीन बजाना भूल गए

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