होली पर यूँ भांग चढ़ाकर, मस्ती में सब पागल हो गए

बच्चे बूढ़े नाच रहे हैं, हम तो गुंजियां बाँट रहे हैं
होली के इस अवसर पर, बाबा हमको डांट रहे हैं
आसमान में रंगों के, घने घने से बादल हो गए
होली पर यूँ भांग चढ़ाकर, मस्ती में सब पागल हो गए

दिल्ली की तुम सड़कें देखो, प्रीत विहार के लड़के देखो
सड़कें सारी आज धुल गयी, भांग हमारे मुह में घुल गयी
आज गुब्बारे सर पर फूटे, शहर में हमने सब दिल लूटे
आसमान में रंगों के, घने घने से बादल हो गए
होली पर यूँ भांग चढ़ाकर, मस्ती में सब पागल हो गए

मिशन ग्रीन की कविता पड़कर, ग्रीन ग्रीन ये होली हो गयी
कृष्ण नगर की गलियों में जब, कविताओं की झोली खो गयी
हम भी पागल आज हो गए, तुम भी पागल आज हो गए
होली पर यूँ भांग चढ़ाकर, मस्ती में सब पागल हो गए

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