विजय लालसा भस्म हो गयी

क्रोध भावना खत्म हो रही, मिशन ग्रीन का छंद है ऐसा
पल पल मुझको रोक रहा है, मन का मेरे द्वन्द है ऐसा
ग्रीन टेक की कविताओं से, देखो प्रारम्भ रस्म हो गयी
चिंता चिंतन आज बन गयी, विजय लालसा भस्म हो गयी

ज्ञान का सूरज उदय हुआ अब, बारिश कर दी मौला जी ने
रफ़ी साहब का फिर वो गाना, सुना दिया बडोला जी ने
अनमोल शायरी बरस रही है, रात हमारी जश्न हो गयी
चिंता चिंतन आज बन गयी, विजय लालसा भस्म हो गयी

कविताओं की महफ़िल में, इच्छाओं का नाश हुआ है
निधिवान ये हृदय हुआ अब, तृष्णा का विनाश हुआ है
अंशुमन से भर गयी उषा, दृद्द हमारी कसम हो गयी
चिंता चिंतन आज बन गयी, विजय लालसा भस्म हो गयी

मिशन ग्रीन की एक पल्लवी, हम सब डालें कविताओं में
जसप्रीत हमारा मन हो जाए, कृष्ण प्रीत की सविताओं में
रुचित हमारा छंद हो गया, कविता अपनी स्वस्थ हो गयी
चिंता चिंतन आज बन गयी, विजय लालसा भस्म हो गयी

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