पर आज सुहानी रात हुई


खो गया था भंवर में, illusions के इस कवर में – भूल गया था मैं खुद को, पर आज खुद से बात हुई
इक पल में मैं इधर गिरा , इक पल में मैं उधर गिरा – पल पल यूँ ही दिन बीता , पर आज सुहानी रात हुई

रात के आगोश में, हुआ हूँ मदहोश मैं – नींद पे हंस रहा हूँ , गा रहा हूँ जोश में
तेरे शहर से दूर कहीं , खुद से ये मुलाकात हुई
इक पल में मैं इधर गिरा , इक पल में मैं उधर गिरा – पल पल यूँ ही दिन बीता , पर आज सुहानी रात हुई

सवेरा भी अब जल रहा है , दिन भी नाराज है – रात का वो आलम है, मोह्हबत का आगाज़ है
जादू हुआ ये पहली बार , कैसी ये करामात हुई
इक पल में मैं इधर गिरा , इक पल में मैं उधर गिरा – पल पल यूँ ही दिन बीता , पर आज सुहानी रात हुई

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