Kalpavriksha in Delhi

ऐसा लगता है की अपना ये दिल्ली शहर एक कल्प वृक्ष के समान होने वाला है जो कुछ सालों में यहाँ आने वाले  दुनिया के हर इंसान की इच्छाओं को पूरा कर देगा. दिल्ली के हर एक व्यक्ति में टलेंट इतना कूट कूट के भरा हुआ है की अगर गलती से कोई जामवंत की तरह आकर उसको दिव्य आइना दिखा दे तो व्यक्ति अपनी ताकत को देखकर कम्पन करना शुरू कर देगा. कल्प वृक्ष वो दिव्य वृक्ष है जो नारियल के पेड़ के रूप में, पीपल के पेड़ के रूप में और अंजीर के पेड़ के रूप में लोगों की जरूरतों को पूरा करता है. और ये दिल्ली शहर ऐसे कई इंसान रूपी कल्प वृक्षों को जन्म दे चुका है. अब दुर्लभ जड़ीबुत्तिओं को प्राप्त करने के लिए किसी हिमालय पर जाने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि अगर हम खोज करना शुरू करें तो हमे कई दिव्य इंसान मिलेंगे जो इस शहर में एक कल्पवृक्ष के समान जरूरत मंद लोगों की इच्छा पूर्ण करने में लगे हुए हैं और उनको सुखमय जीवन जीने की दिशा दिखा रहे हैं.  अगर हम ऐसे मास्टर्स की शरण में जाते हैं तो सीखते हैं की हमे क्या सुनना चाहिए और क्या नहीं. क्या देखना चाहिए और क्या नहीं. क्या करना चाहए और क्या नहीं. वो हमे ट्रेनिंग देते हैं की कैसे हम कर्म करते हुए, ज्ञान योग में प्रवेश कर सकते हैं और कैसे हम ज्ञान योग में प्रभु चिंतन करते हुए भक्ति योग में कदम रख सकते हैं. वो हमे सिखाते हैं की कैसे हम अपनी इन्द्रीओं को संयमित कर सकते हैं और अपनी शुद्ध आत्मा और इन्द्रीओं के  बीच हो रहे द्वन्द को पार कर सकते हैं. वो हमे शिक्षा देते हैं की अन्धकार का अर्थ तो ज्ञान का अभाव है, डर का अर्थ तो विशवास का अभाव है और विलाप और लालसा, दिव्य नेत्रों का बंद होना है. इसलिए हमारा प्रमुख कार्य ऐसे कल्प वृक्षों को पहचानना और उनके साथ कार्य करना होना चाहिए.

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