Learning Through Quietness

जिंदगी में तीन चीजों से रोज सीखता हूँ. छोटे बच्चे की मासुमिअत, बुजुर्गों के तुजुर्बे से और यूथ की एनर्जी लेवल से. एक छोटा बच्चा मुघे सीखता है की कैसे सीखना है क्योंकि सीखना भी एक कला है. एक बुजुर्ग के एक्सपेरिएंस से मैं सीखता हूँ की जिंदगी के रास्ते में कौन कौन से खाद्द्दे आने वाले हैं और उनसे कैसे बचना है. एक यूथ से मैं सीखता हूँ की कैसे अपने काम को परफेक्ट करना है और एनेर्जी लेवल से भरना है. अब कोशिश यही करता हूँ की सम्मान से धराशाई करने वाले लोगों से बचूं . पुरस्कार की चाहत से दूर भागता हूँ . हर प्रकार के दंड का समान करता हूँ क्योंकि दण्डित करने वाले व्यक्ति की भावनाओं को समझता हूँ. विभाजन द्वारा शाशन करने वाले लोगों का सम्मान करता हूँ, शर्त ये हैं की विभाजन की कला देश और मनुष्यता की प्रगति के लिए हो ना की धर्म, जात पात, gender , geographic लोकेशन, मटेरिअल ओब्जेक्ट्स के नाम पर अलग करने के लिए. भ्रम और वास्तविकता के बीच क्या अंतर है ये समझता हूँ. अपने शांत मुख के पीछे एक दुनिया लेकर चलता हूँ क्योंकि चुप रहने का मतलब ये समझता हूँ की अभी मेरी बुद्दी में विचारों का द्वन्द है और मैं चाहता हूँ की जब में बोलूं तो अच्छे से आपके काम आ सकूँ . एक छोटे बच्चे को हम डांट देते हैं की तुम बोलते क्यों नहीं हो ? लेकिन ऐसा करते वक़्त ये भूल जाते हैं की उसके विचार उससे द्वंडित कर रहे हैं और वह अपने साथ एक बहुत खूबसूरत दुनिया लेकर चलता है या चलती है. और कभी उसके विचार निकलते हैं तो वो उस खुबसूरत दुनिया को ऐसी प्रस्तुत करते हैं की हर एक मनुष्य, पशु और पक्षी उससे देखकर मोहित हो जाता है. कुछ लोग कहते हैं की ये मार्केटिंग का दौर है और बात करना जरुरी है लेकिन लम्बे मौन के बाद जो मार्केटिंग काम्पने बनती है उसका अनद एक्स्त्रोवेर्ट दुनिया भी लेती है. क्यों ?

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