A Day in Delhi Metro

सुबह हुई और हम ऑफिस के लिए निकले और पैदल चलते हुए सुबह की ठंडी हवा का मज़ा लेते हुए 10 मिनट में मेट्रो स्टेशन तक पहुँच गए . मेट्रो स्टेशन में इंटर करते हुए दो options मिले. की ऊपर कैसे जाओगे ? और हम बुजुर्गों और छोटे बच्चों की तरह औतोमटिक सीड़ी पे जा खडे हो गए. लेकिन अचानक हमे याद आया की अभी तो जिंदगी में हज़ारों सीड़ीआन चडनी हैं और हम अभी से अपने क़दमों को रोक कर खड़े हो गए. तभी किसी ने हमसे कहा की तुम्हे उल्टे हाथ से नहीं राईट से ऊपर चड़ना होगा. तुम्हे लेफ्ट ब्रेन से नहीं बल्कि राईट ब्रेन से चलना होगा. क्योंकि राईट ब्रेन राईट सीडिओं की तरफ ले जाता है और राईट सीड़ीआन राईट जिंदगी तरफ ले जाती हैं. फिर आगे बढते हुए हमे जब एक पोलिसे ऑफिसर ने चेक किया तो उनको हमने दिल से जय हिंद कहा और उनके इस काम और सेवा के लिए और हमारी रक्षा के लिए उठाएय जा रहे दिल्ली पुलिस के सुरक्षा क़दमों के लिए धन्यवाद कहा.फिर प्लात्फोर्म पर एक इलेक्ट्रोनिक बोर्ड को देखा और ३ मिनट के लिए हम मेट्रो प्लात्फोर्म पे लिखे मेसेज और बैनर पडने में व्यस्त हो गए. देखा के कुछ लोग बहादुरों की तरह संदेशों का उल्लंघन करते हुए पीली लाइन के आगे खड़ें हैं. गार्ड ने उनको एक छोटे नासमझ बचे की तरह पीछे हटाया. ३ मिनट में काफी बैनर दिखे लेकिन कोई ऐसा नहीं दिखा जो अपना सा लगे. सभी बैनर्स illusions ही लगे. ना कोई इश्वर का सन्देश था और ना ही कोई सकारात्मक कला या वाक्य. कुछ ही देर में सामने से डेल्ही की कुईन मेट्रो आ गयी तो हमने महिल्लाओं को दो ही डब्बों तक सीमित पाया. ऐसा लगा एक पिंजरे में कुछ लोगों को बंद कर दिया गया हो. सच कहूं तो अच्छा नहीं लगा. मेट्रो में प्रवेश करते ही एयर conditioner की ठंडी हवा हमारे सर पर पड़ी. एक कोने में देखा कुछ समझदार सिटिज़न्स दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा और बच्चों के हिंदी ज्ञान के बारे में वार्तालाप कर रहे थे तो हम भी उस वार्तालाप का हिस्सा हो गए और कुछ २० मिनट बाद जैसे ही हम बाहर निकले तो इस बार राईट साइड से ही ऊपर चड़ने का फैसला किया और सच में बहुत मज़ा आया.अपना कार्ड लगा कर जैसे ही हम बहार निकले ऐसा लगा किसी जंगे मैदान से बहार निकले. कुछ यूवाओं को सीडिओं पर किसी का इंतज़ार करते हुए पाया और जैसे ही बहार निकले, हिन्दोस्तान की सबसे बड़ी बिमारिओं गरीबी और बेरोजगारी के दर्शन हुए. क्या हम इतने कमजोर हो गए हैं की साथ मिल कर भी इन् दोनों बिमारिओं को ख़तम ना कर सकें ?

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