The Power of Namaskaar


अगर मेरा यह सर किसी के आगे झुकने से हमेशा इनकार करता है और मेरे यह हाथ किसी को नमस्कार करने के लिए नहीं जुडते तो मुघे यह समझ लेना चाहिए की मैं उस गाड़ी की तरह हो गया गया हूँ जिसका कर्म तो चलना है और लिबरेशन या मुक्ति तक पहुँचाना है लेकिन अभी उसमे कुछ खराबी आ गयी है. मुघे यह समझना होगा की अगर मैं किसी को झुककर प्रणाम करता हूँ तो मुझमे निष्ठां की भावना पैदा होती है और यह निष्ठा की भावना, मेरे दिल और दिमाग में सामने खड़े हुए मनुष्य की अच्छाईओं के बारे में सोचने की लिए मजबूर करती है और इस तरह में उस मनुष्य की अछाईओं को ग्रहण कर लेता हूँ और अपने आप को और निखार लेता हूँ. इस तरह मैं अभ्यास करता हुआ इश्वर के गुणों को समझने लगता हूँ और एक सीमा रेखा से अपने आप को बहार निकाल लेता हूँ. और समय के साथ जैसे जैसे मैं इस अभ्यास को और बड़ा देता हूँ तो मैं इश्वर के चरणों के और नजदीक पहुँच जाता हूँ और उनके गुणों को पहन कर आनंदमय महसूस करता हूँ. और अगर मैं उस आनंद को महसूस करता हूँ तो मेरे आसपास के सब प्राणी उस आनंद रस का अनुभव करने लगते हैं और वो भी इस मुक्ति मार्ग पर चलने के लिए उत्सुक हो जाते हैं. और इस तरह वो भी अभ्यास करते हुए निष्ठा भाव से प्रणाम करना सीख जाते हैं.

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Puneet Verma is a passionate traveler, environment blogger, techie and nature lover. He owns a beautiful community of 400+ environment enthusiasts at missiongreendelhi.com. Join MGD's #Delhikabagh latest environment awareness campaign and tag @missiongreendelhi and #Delhikabagh on Facebook and Instagram with your environment friendly posts.

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