भारतीय मुस्लिम समाज इतना क्रोधित था की वो अंग्रेज और अंग्रेजी से नफरत करने लगा। उसने सरकारी नौकरियों से मुँह फेर लिया। वे गरीबी में दिन बिताने लगे। लाल किले को छोड़कर मुग़ल सम्राट बहादुर शाह जफ़र को भूटान जाना पड़ा और उन्होंने अपने अंतिम दिन वहाँ बिताए। iss उदासीन दौर में कोई भी संगठन अंग्रेजों के खिलाफ नहीं खड़ा हो पा रहा था। सर सय्यद अहमद खान ने मुसलमानो को उठाने की कोशिश की। कई महा पुरुष भारतीय समाज को मोटीवेट करने के लिए और जागृत करने के लिए आगे आए। जागीरदारों ने अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध छेड़ा। किसानों ने जबरदस्ती नील की खेती करवाने के खिलाफ आंदोलन छेड़ा। राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा के खिलाफ आंदोलन छेड़ा। महात्मा फूले ने दलितों को शिक्षा देने का अभियान छेड़ा।
स्वामी दयानंद सरस्वती ने जीव हत्या, जाती वाद, बाल विवाह, स्त्री शोषण के मुद्दे उठाए और आर्य समाज की स्थापना की। उन्होंने वेदों का प्रचार किया। उनके बाद स्वामी विवेकानंद ने वेद ज्ञान और योगा को पूरी दुनिआ तक पहुँचाया। उन्होंने रामा कृष्णा मिशन की नीव रखी। बाल गंगा धार तिलक और गोविन्द रानडे ने गर्म और नरम संगठन बनाए। बाल विवाह के खिलाफ क़ानून बनाने पर प्रस्ताव रखा गया। और फिर अपने अधिकारों को मनवाने के लिए इंडियन नेशनल कांग्रेस का संगठन बना और भारत को आजादी का सूरज दिखने लगा। गांधी जी ने उनीस सौ इकीस में कांग्रेस के साथ जुड़कर आजादी की चिंगारी को आग में बदल दिया और गरीबी , स्त्री शोषण , जाती वाद के खिलाफ और पूर्ण स्वराज के अभियान छेड़े।