Wo Kahani Main Banaaun

ओस से भरे जाड़ों में, आखिर क्यों मौन हूँ मैं
इन फूलों पत्तों और पहाड़ों में, खोजता हूँ कौन हूँ मैं
क्या रिश्ता है मेरा इनसे, कबसे जुड़ा हूँ इनसे
मिल जाना चाहता हूँ आज, कभी ना मिला था जिनसे

मेरे रग रग को जो छू रही, उस मिटटी में खो जाना चाहता हूँ
हर सांस जहां से आ रही, उस धरती में बो जाना चाहता हूँ
ताकि निकलूं फिर खिल के, पत्तों में और फूलों में
बंध जाऊं और लहराऊँ, फिर सावन के झूलों में

विचारों से परे हो जाऊं, मैं कहीं खो जाऊं
किसी वृक्ष की ओट में, मैं कहीं सो जाऊं
उड़ जाऊं ब्रह्माण्ड में, दूरी वो तय कर जाऊं
युगों युगों को प्रेरित करे, वो कहानी मैं बन जाऊं

पुनीत वर्मा, मिशन ग्रीन दिल्ली

जब गुठली गिरे कहीं उसकी, तो वृक्ष एक और लग जाए

वक़्त यूँ गुज़र रहा, जैसे ठंडी हवा का हो झोंका
कुछ कर जा इस पल में, किसने है तुझे रोका

ऐसा वृक्ष लगा धरा में, फल जिसका सदियां खाएं
जब गुठली गिरे कहीं उसकी, तो वृक्ष एक और लग जाए

ये ना सोच क्या करना है आज, बैठे बैठे मुझसे जुड़ जा
सिर्फ समझना शुरू कर, और बैठे बैठे ही बढ़ जा

वृक्ष ऐसा बो आज तू, जो पीपल बरगद जैसा हो
जीवन को जो कायम रखे, जीवन अपना वैसा हो

ऐसा पंछी बन जा तू, जो गुठली साथ ले उड़ता है
जहां जहां जब डेरा डाले, वृक्ष वहीँ पर बढ़ता है

अपना दल बल मिशन ग्रीन है, दल में तू भी आजा ना
निर्बल को भी जीवंत कर दे, ऐसा बल दिखलाजा ना

पुनीत वर्मा, मिशन ग्रीन दिल्ली कम्युनिटी मिशन ग्रीन ग्रुप के साथ जुड़ने के लिए 9910162399 पर व्हाट्सप्प करें

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