You Never Listened Me

हीरे मोती निकले मुह से, तुने कोई चुना नहीं – मैं बस यूँ ही कहता रहा, तुने मुघ्को सुना नहीं
कान में तेरे जब में बोला, अमृत मैंने जुबान से घोला – बुद्धि तेरी किधर गयी थी, तुने mind का lock ना खोला
सारे मोती बिखर गए , तुने कोई बुना नहीं – मैं बस यूँ ही कहता रहा, तुने मुघ्को सुना नहीं

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सुन के मेरे वचनों को, हर पल तुने सिर हिलाया – अमृत रस की बूंदों को, हर पल तुने यूँ डुलाया
प्यार ही मैंने हर पल बांटा, बांटी मैंने घ्रणा नहीं
हीरे मोती निकले मुह से, तुने कोई चुना नहीं – मैं बस यूँ ही कहता रहा, तुने मुघ्को सुना नहीं

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क्रोध के आवेश में, अभिमान के इस भेस में – मुस्कान तेरी खो गयी है , जीवन की इस race में
खुशीआं इस संसार में , मिलती मेरे बिना नहीं – हीरे मोती निकले मुह से, तुने कोई चुना नहीं
मैं बस यूँ ही कहता रहा, तुने मुघ्को सुना नहीं

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