स्कूल के दिन भी बड़े अजीब थे. रह रह कर याद आते हैं और हम फिर बच्चे बन जाते हैं. दिल्ली में बिताया हुआ बचपन हमेशा याद आता है और दिल में एक ख़ुशी की लहर सी छोड़ जाता है . याद आता है वो छत पर पतंग उडाना. याद आता है वो दोस्तों के साथ अलग अलग तरह के खेल खेलना. कभी चोर पुलिस, तो कभी खो खो, तो कभी क्रिकेट. वो स्कूल में क्लास के बाद रुककर बास्केट बाल खेलना. वो गणेश जी का दूध पीना और वो दिल्ली में बाड़ आना. वो स्कूल में क्रिसमस पर गिफ्ट्स exchange करना, वो दिवाली पे क्लास को सजाना. वो teachers डे पे स्टुडेंट teacher के साथ मस्ती करना. वो laboratory के सफ़ेद चूहों के साथ खेलना. याद आता है वो सुबह prayer में इधर उधर देखना. याद आता है वो हिंदी की teacher का शलोक पढ़ना, maths के teacher का गाने सुनाना और गेमस के टीचर का पिटाई करना. याद आता है वो library में लाइन लगा के जाना, कंप्यूटर रूम में floppy से मारिओ गेम खेलना और कंप्यूटर teacher की punishment झेलना. याद आता है वो swimming पूल में डूब जाना और मरते मरते बचना. याद आता है वो कैंटीन का bread role और ठेले वाले का जलजीरा. याद आता है वो विडियो गेम खेलना और टाइम आउट हो जाना. याद आता है वो shloka प्रतिस्पर्धा में पार्ट लेना और ड्रामा में एक्टिंग करना. याद आता है वो social studies की 4 किताबें और कॉमिक्स. याद आता है वो chemistry की chemical reactions को मनोरंजक बनाना और उनकी कविताएँ बनाना. याद आता है वो गांगुली का छके लगाना और वो सचिन का ऑस्ट्रेलिया को पीटना. याद है वो जडेजा के गले का रुमाल और अजहर का ढीला छक्का. याद आता है वो पापा का डांटना और पड़ने के लिए कहना. याद आता है वो मम्मी का हमको बचाना और हमसे प्यार करना. याद आता है वो स्कूल का पहला प्यार, वो लिखना लव लैटर और उसको फाड़ देना. याद आता है वो पिकनिक पे जाना और मज़े करना .याद आता है वो exams ख़तम होते ही धूप में क्रिकेट खेलना और मम्मी का हमे बुलाना. याद आता है वो बोर्ड के exams से डरना और exams के दिनों में ही पढ़ना. याद आते है चाचा चोधरी, नागराज, पिंकी बिल्लू और मोगली. याद आती है वो होली की बन्दूक और वो गुबारे वाला.याद आते हैं वो दिवाली के बिजली बम और सांप की गोली. याद आता है वो गली के बच्चों को सुबह बेल बजा कर जगाना और आंटी के आने पर भाग जाना.
बस दिल करता है वो स्कूल के दिन वापस आ जाएं, वो बचपन के दिन वापस आ जाएं