लहसुन खाओ, खुश हो जाओ

लहसुन खाओ, खुश हो जाओ
गोली छोड़ो, जलन मिटाओ
अगर हो गयी, खांसी तुमको
अदरक का इक, टुकड़ा खाओ
गोली छोड़ो, जलन मिटाओ
लहसुन खाओ, खुश हो जाओ

लंग्स को अपने, साफ़ कराओ
हल्दी का तुम, घोल बनाओ
अलजिक एसिड, पैदा करलो
खोल के अब तुम, अनार भी खाओ
गोली छोड़ो, जलन मिटाओ
लहसुन खाओ, खुश हो जाओ

ऑरेंज खा लो, गाजर खा लो
ऑक्सीजन का फिर, फ्लो बड़ा लो
पानी पी लो, सेब भी खाओ
गोली छोड़ो, जलन मिटाओ
लहसुन खाओ, खुश हो जाओ

दिल्ली में कुछ बात है

मेट्रो की इस खिड़की से, अक्षर धाम को देख रहा हूँ
स्वामी जी के चरणों में, अपना मस्तक टेक रहा हूँ
यमुना बैंक से दिख रही अब, चम चम करती रात है
कहता है अब अपना ये मन, दिल्ली में कुछ बात है

कश्मीरी गेट की सड़कों पर, फूटपाथ पर लगा बसेरा
आम आदमी तड़प रहा है, भड़क रहा है शहर ये मेरा
साथ हमारे मिशन ग्रीन है, ग्रीन पीस का साथ है
कहता है अब अपना ये मन, दिल्ली में कुछ बात है

नदियों और इन् नालों में, आज भी बसते लोग हमारे
हाई टेक इस दिल्ली में, आज भी बसते रोग वो सारे
शहर की इस तररकी में, जाने किसका हाथ है
कहता है अब अपना ये मन, दिल्ली में कुछ बात है

पुनीत वर्मा की कलम से

दिल्ली का चेहरा बदलेगा

कल दिल्ली में नयी सरकार बन जाएगी। अरविन्द केजरीवाल मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। और उनका पहला काम होगा दिल्ली सरकार के उन् सूखे पत्तों को अलग करना जो करप्शन की धूप में पीले होते जा रहे हैं। सरकारी विभागों में से जब तक ये पीले पत्ते झाड़कर नीचे नहीं गिरा दिए जाते, तब तक दिल्ली रुपी पीपल का ये वृक्ष हरा भरा नहीं हो पाएगा।

जिस प्रकार किसान अपनी फसल की जानवरों से रक्षा करता है, उसी प्रकार आम आदमी सरकार का अगला काम होगा दिल्ली की जमीन पर महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को आवारा पशुओं से सुरक्षित रखना। जो हक़ गरीबों से छीन कर किसी और को दे दिया गया है वो उनको वापस करना।

आज हर दिल्ली वासी चाहता है की कोई भी नागरिक बेरोजगारी का शिकार ना हो, बिमारी का शिकार ना हो और हर किसी को सम्पूर्ण शिक्षा मिले। और ये तभी संभव है जब शहर में हर व्यक्ति अपने मनचाहे कार्य का अध्यन करना शुरू करेगा और उसका जिक्र अपने आस पास के लोगों से करेगा। इस प्रकार सीखने की चाहत बढ़ेगी और जब ऐसा होगा तो अपने आप ही रोजगार के मौके मिलने शुरू हो जाएंगे।

धीरे धीरे दिल्ली की जनता को ये एहसास होने लगेगा की वाहनो के बिना भी जीवन मज़े से जिया जा सकता है। वाहन रहित और प्रदूषण रहित दिली कितनी सुन्दर और आँखों को सुख प्रदान करने वाली होगी। कैसे वृक्षों से भरी दिल्ली में पंछी पराए देश को छोड़कर अपने देश में वापस आ जाएंगे। बस इंतज़ार है अहंकार और लालच के इस माया जाल से बाहर निकलने का।

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