सिस्टम पर यूँ बैठे बैठे, साँसे मेरी थम रही हैं
छुट्टी वाले दिन भी मेरी, आंते सारी जम रही है
खोट है सारा जीवन का, कोई मुझमे खोट नहीं
चाहूँ मैं भी जीवन को, मैं इंसान हूँ रोबोट नहीं
कहते हैं सब ध्यान रखो तुम, करलो उतना काम रखो तुम
ध्यान आपका में रखूँगा, मेरा भी कुछ ध्यान रखो तुम
पल दो पल का खेल ये सारा, कैसे सबको ना कहूँ में
कर्म ही अपना जीवन सारा, कर्म को अपनी माँ कहूँ मैं
माँ तू मुघको सांस दिला दे, चाहूँ मैं कोई नोट नहीं
चाहूँ मैं भी जीवन को, मैं इंसान हूँ रोबोट नहीं
चलता रहता है जो हर पल , रोबोट कभी भी बंद हो जाता
चिपक रहा जो सिस्टम से , इंसान कभी भी बंद हो जाता
ग्रीन टेक को जो ना जाए , ऐसा कोई वोट नहीं
चाहूँ मैं भी जीवन को, मैं इंसान हूँ रोबोट नहीं