अनुशासन के मार्ग पर, अब से मैं चलूँगा
दीपक के घी जैसा, अब से मैं ढलूँगा
चमकूँगा सीप की तरह, सूरज की रौशनी भी हाथ देगी
अब से मैं उड़ूंगा, और ये हवा भी मेरा साथ देगी
मोर पंख जैसा रंगीन, मन अपना हो जाएगा
वृक्षों के जैसा ग्रीन, तन अपना हो जाएगा
तारों की चाॅदर अब से , मुघको ये रात देगी
अब से मैं उड़ूंगा, और ये हवा भी मेरा साथ देगी
– पुनीत वर्मा की कलम से, मिशन ग्रीन दिल्ली ब्लॉग