पर आज सुहानी रात हुई


खो गया था भंवर में, illusions के इस कवर में – भूल गया था मैं खुद को, पर आज खुद से बात हुई
इक पल में मैं इधर गिरा , इक पल में मैं उधर गिरा – पल पल यूँ ही दिन बीता , पर आज सुहानी रात हुई

रात के आगोश में, हुआ हूँ मदहोश मैं – नींद पे हंस रहा हूँ , गा रहा हूँ जोश में
तेरे शहर से दूर कहीं , खुद से ये मुलाकात हुई
इक पल में मैं इधर गिरा , इक पल में मैं उधर गिरा – पल पल यूँ ही दिन बीता , पर आज सुहानी रात हुई

सवेरा भी अब जल रहा है , दिन भी नाराज है – रात का वो आलम है, मोह्हबत का आगाज़ है
जादू हुआ ये पहली बार , कैसी ये करामात हुई
इक पल में मैं इधर गिरा , इक पल में मैं उधर गिरा – पल पल यूँ ही दिन बीता , पर आज सुहानी रात हुई

Some Flowers From My Pen

पंछी पकड़ के बैठे हो , उसको  आजाद नहीं किया  – लोगिन हो फसबूक पे, और मुघे याद नहीं किया
तुमसे बात नहीं करूंगा, status ऑफलाइन कर दूंगा  – तुमने reply नहीं किया तो,  गिलास में अपने, वाइन भर लूँगा
क्या खता हुई है दिल से , जो संवाद नहीं किया – लोगिन हो फसबूक पे, और मुघे याद नहीं किया
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मैं तुझको समझ ना पाया , मुझसे हुई ये कैसी खता – अब जब मैंने मान लिया , कौन है तू मुघे ये तो बता ?
तेरा नाम क्या है अजनबी , तेरा काम क्या है अजनबी – सोचती रहती है क्या तू, तेरा अंजाम क्या है अजनबी
पराया मान के हर पल , यूँ मुझको ना सता – …खुश बहुत है दिल तेरा , यूँ मुझको ना जता
मैं तुझको समझ ना पाया , मुझसे हुई ये कैसी खता – अब जब मैंने मान लिया , कौन है तू मुघे ये तो बता
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पुनीत मेरा नाम है, इकबाल की छवि हूँ – दोस्तों पे लिख देता हूँ, मैं भी अच्छा कवी हूँ
सिर्फ पदना नहीं चाहते हो गर आप, चाहते हो कोई एक्ट करना – तो फिर Greentechdelhi के जरिये ही, मुघे जीमेल पे contact करना
बस अब रखता हूँ कलम , ख़तम यह संवाद करता हूँ – मेरी कविता झेलने के लिए, आपका धन्यवाद करता हूँ

मेरी lines कौन सुनेगा

जबसे महखाना बंद हुआ,  ख़तम दिल का द्वन्द हुआ  – बिकनी बंद हुई शायरी की किताब ,सारे बायर कहाँ गए
ढून्ढ रहा हूँ कबसे उनको , गलिओं में, मेहखानों में  – मेरी lines कौन सुनेगा,  सारे शायर कहाँ गए ?

मुघ्को पागल कहने वाले, खुद को पहले ठीक कराले – सच्चे लोग ही बचे हैं क्या अब , सारे लायर कहाँ गए
ढून्ढ रहा हूँ कबसे उनको , गलिओं में, मेहखानों में   – मेरी lines कौन सुनेगा,  सारे शायर कहाँ गए ?

अपने देश का तू है राजा ,हिम्मत है तो मैदान में आजा – हिम्मत वान ही बचे हैं क्या अब, सारे कायर कहाँ गए
ढून्ढ रहा हूँ कबसे उनको , गलिओं में, मेहखानों में   – मेरी lines कौन सुनेगा,  सारे शायर कहाँ गए ?

अपना सिस्टम groove कराले, मुघसे lines approve कराले – लगा हूँ मैं अब आग बुझाने , लगाके फायर कहाँ गए
ढून्ढ रहा हूँ कबसे उनको , गलिओं में, मेहखानों में  – मेरी lines कौन सुनेगा,  सारे शायर कहाँ गए ?

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