डेड सौ साल पहले भारत का वस्त्र व्यापार

एक स्कॉटिश इतिहासकार मार्टिन ने कहा है की भारत दुनिआ में सबसे अच्छे वस्त्र एक्सपोर्ट करता है। रोमन राजा और उनकी रानियां अपने लिए भारत के बने हुए वस्त्र इम्पोर्ट करते हैं। सत्रह सौ पचास में एक फ्रांसीसी हिस्टोरियन भारत में बने हुए वस्त्रों की तारीफ़ करता है और कहता है कि इनका वजन बहुत ही कम होता है।

विलियम बार्ड इंडियन मलमल कि तारीफ़ करता है और कहता है कि इन् वस्त्रों कि बुनाई इतनी बारीक होती है कि इन् पद पड़ी ओस कि बूँद भी नहीं दिखती है। तेरह चौदह मीटर का कपडा एक पतली सी अंगूठी के अंदर से निकला जा सकता है। वस्त्रो का भार पद्रह से बीस रत्ती तक होता है जो की बहुत ही कम है। वो कहता है कि उन्होंने कपड़ा बनाना सत्रह सौ अस्सी के बाद ही सीखा है।

थॉमस मुनरो जो कि मद्रास का गवर्नर था , गिफ्ट में मिली भारतीय शाल कि तारीफ़ करता है और कहता है की पिछले सात साल से ये वैसी कि वैसी है। इसकी क्वालिटी दुनिआ में सर्वोत्तम है।

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