विमान के प्रथम अविष्कारक :शिवकर बापू तलपड़े

आखिर कौन हैं शिवकर बापूजी तलपड़े ? कहा जाता है मुम्बई कि चौपाटी पर , चीरबाज़ार में जन्मे इस विज्ञानिक ने 1895 में पंद्रह सौ फीट ऊपर तक विमान उड़ाया जिसका नाम था मरुतसखा। ये महाराष्ट्र की पथरे प्रभु कम्युनिटी के मेंबर्स थे। पंडित सुभराय शास्त्री जी ने तलपड़े जी को विमान शास्त्र में गाइड किया। ये ऐसा विमान था जिसमे किसी भी पायलट कि आवशयकता नहीं थी। महादेव गोविन्द रानाडे , जो कि भारतीय स्कॉलर , सोशल रिफॉर्मर और ऑथर होने के साथ साथ इंडियन नेशनल कांग्रेस के फाउंडिंग मेंबर भी थे , और मुम्बई के हाई कोर्ट में जज कि हैसियत से काम करते थे , तलपड़े जी के मरुतसखा विमान प्रोजेक्ट देखने गए थे। किंग ऑफ़ बड़ोदरा भी इस प्रोजेक्ट को देखने गए थे। इसका मतलब ये था कि विमान का कण्ट्रोल तलपड़े जी के पास था और विमान हवा में। महाराजा गएक्वाद ने तलपड़े जी के लिए इनाम कि धोषणा कि।

पुणे के केसरी नाम के अखबार में इस इवेंट के बारे में बाल गंगाधर तिलक ने लिखा था।

महर्षि भारद्वाज जिनका जिक्र रामायण में भी है , उनके द्वारा लिखे गए 8 चैप्टर्स , सौ खंडो , और तीन हज़ार श्लोकों वाले ग्रन्थ का अध्यन्न तलपड़े जी ने किया जिसको वैमानिक शाश्त्र भी कहा जाता है। वैमानिक शास्त्र में महर्षि भारद्वाज ने विमान बनाने के पांच सौ सिद्धांत लिक्खे हैं।

1917 में तलपड़े कि मृतुयु के बाद उनके रिश्तेदारों नें मरुत्सखा और इसका डिज़ाइन एक ब्रिटिश एक्सपोर्टिंग कंपनी को बेच दिया। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस बंग्लोर इस विषय पे काम कर रहा था।

What are you looking for ?

    ×
    Connect with Us

      ×
      Subscribe

        ×

        Exit mobile version