मैं जब भी अपने इस ब्लॉग पर लिखता हूँ तो महसूस करता हूँ की मैं किसी पद से जुड़ा हुआ नहीं हूँ. मैं कोई मेनेजर नहीं हूँ ना ही कोई मंत्री हूँ बल्कि मैं तो इन् सभी बन्धनों से ऊपर हूँ . में ना भविष्य हूँ ना ही पास्ट हूँ . मैं तो प्रेसेंट हूँ और मेरा काम आज अपने जिंदगी रूपी कार में बेठ कर अपनी mind रूपी ड्राईवर को instruct करना है. कौन है जिसको मैं instruct करूंगा ? और अगर मैं किसीको instruct करूंगा तो कैसे करूंगा ? मैं नहीं जानता की मेरी कार कैसे चलती है लेकिन मैं यह जानता हूँ की मेरा ड्राईवर अगर जानता है की क्या सही है और क्या गलत तो मुघ्को चिंता करने की जरूरत नहीं है. बस जरुरत है मद मस्त हो कर अपने ड्राईवर को सत्य की याद दिलाने की क्योंकि मेरा ड्राईवर मन रूपी स्टीरिंग के जरिये मेरी senses को कण्ट्रोल कर रहा है और मेरी senses या इन्द्रियाँ जो की मेरी कार के चार पहियों के समान हैं वो कभी कभी स्टीरिंग के कण्ट्रोल को स्वीकार नहीं करती और ड्राईवर को परेशान कर देती है और मैं रास्ते से भटक जाता हूँ. भटक जाता हूँ लेकिन फिर अपने पथ पर वापस आ जाता हूँ . मैं सीखता हूँ और फिर मद मस्त हो कर अपनी इस journey का मज़ा लेता हूँ . दुःख आ जाएय तो बच्चे की किल्कारिओं का मज़ा लेता हूँ और जब सुख आ जाएय तो उन् दुखी परिवारों का चिंतन कर उनके सुख की कामना का मज़ा लेता हूँ.