आलोक की तलाश में

धरती  की इस गोद में, जीवन के इस शोध में – यूँ ही मैं पलता रहा, यूँ ही मैं छलता रहा
आलोक की तलाश में, जिंदगी की चाह में – यूँ ही मैं चलता रहा, यूँ ही मैं खिलता रहा
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अन्धकार में ऐसा खोया, एक पल ना ठीक से सोया – ज्ञान ने आके मुघे जगाया, प्यार का बीज है तुमने बोया
पुनीत की बरसात में , यूँ ही मैं घुलता  रहा – आलोक की तलाश में, जिंदगी की चाह में
यूँ ही मैं चलता रहा, यूँ ही मैं खिलता रहा
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रोते इस संसार में, लालच की भरमार में – वैभव ने है खूब लुभाया,  माया के दरबार में
दीपक का घी बन कर , यूँ ही मैं डुलता रहा – आलोक की तलाश में, जिंदगी की चाह में
यूँ ही मैं चलता रहा, यूँ ही मैं खिलता रहा

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