मेरे लिए ये समझना आवशयक नहीं की मिशन ग्रीन का ये यान मुघे कहाँ लेकर जाएगा। मेरे लिए ये भी सोचना आवशयक नहीं है की क्या मुघे इस यान को चलाने में सुख मिलेगा या नहीं। ना ही ये इच्छा है की ग्रीन टेक का ये यान आकाश में सबसे आगे रहेगा या नहीं। बल्कि मेरे लिए आवशयक है की यान अपनी निर्धारित शक्ति और गति के साथ आगे बढ़ता रहे।
जिस प्रकार से में भोजन करते समय ये नहीं सोचता की मुघे भोजन करने से क्या मिलेगा, या जिस प्रकार में सांस लेने से पहले, देखने से पहले, सुनने से पहले ये नहीं सोचता की उसका फल क्या होगा, उसी प्रकार से मुघे ये नहीं सोचना है की मेरे ग्रीन टेक के यान को चलाने से क्या लाभ होगा।
क्योंकि यान को आकाश में चलाते समय सुख की, जीत की या लाभ की इच्छा एक ब्रेक के सामान साबित होगी। ऐसी ब्रेक जो यान की गति को रोक देगी। समाज का कल्याण यान के उड़ने से है और मेरा और मानवता का कल्याण यान को ठीक प्रकार से उड़ाने में है। ग्रीन यान को ठीक से आकाश मार्ग से ले जाना ही मेरे लिए कर्म योग है। मेरे पास केवल काम करने और ना करने का विकल्प है, विमान निर्धारित लक्ष्य पर पहुंचेगा या नहीं, ये श्रिस्टीकर्ता के कंट्रोल में है। मेरे पास ग्रीन टेक के कंट्रोल हैं, ना की लक्ष्य तक पहुँचने के।
कर्म का फल, कर्म ही है।