हम चीज़ों को बनाते हैं और फिर उनको एक नाम दे देते हैं. लेकिन किसी भी वस्तु के बारे में ये कहना की ये पूर्ण है, गलत सा प्रतीत होता है. क्योंकि पूर्णता की परिभाषा हमारी समझ से बाहर है. लेकिन कुछ है जो पूर्ण है और हमारी समझ से बाहर है. कुछ है जो हमेशा रहता है और हमारी आवाज, मन और तन को प्रेरणा देता रहता है. लेकिन कई बार हम उसके द्वारा दी गयी प्रेरणा और संकेतों को नकार देते है और अपनी सेवा में लग जाते हैं. कोई है जो इस हवा के रूप में हमारी सेवा में लगा हुआ है. कोई है जो सूर्य की किरणों के रूप में हमे पाल रहा है. कोई है जो इन् वृक्षों के रूप में हर पल हमे शान्ति प्रदान कर रहा है. कोई है जो हमारी इस बनावट का कारण है. कोई है जो इन् दृश्यों से परे है. कोई है जो प्रकट और ज़ाहिर नहीं हो पा रहा है, लेकिन हमारे आसपास है. वो जो भी है लेकिन इतना तो पता चलता है की वो सबसे शक्तिमान है, सबसे ज्यादा ज्ञानी, सबसे बड़ा और विशाल है, सबसे पुराना है, सबसे ज्यादा प्रसन्न है, सबसे बड़ा रक्षक है, और पूरे ब्रह्माण्ड का संचालक है