सुनकर बहती नदिया को , संवाद करो किनारों से – अज्नाबिओं को गले लगाकर, स्वागत करो बहारों से
आजादी का अब जश्न मना लो, सबको अपना आज बना लो – कुछ पल अपनी बुद्धि को, आजाद करो विचारों से
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पल पल मरती पिंजरे में , चिडिया आज बरी हुई है – दुनिया के इस नक्शे पर , दिल्ली अपनी हरी हुई है
मुग़ल काल के स्मारक छुकर , बात करो मीनारों से – आजादी का अब जश्न मना लो, सबको अपना आज बना लो
कुछ पल अपनी बुद्धि को, आजाद करो विचारों से
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आज तिरंगा दिल में देखो, कुछ पल खुद के साथ बिताकर – अपना जीवन सफल करो अब, कुछ पल उसपर प्यार जताकर
मुख पर सबके पुष्प खिलाओ, कविता की फुहारों से – आजादी का अब जश्न मना लो, सबको अपना आज बना लो
कुछ पल अपनी बुद्धि को, आजाद करो विचारों से
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