दिल को मेरे शांत कर रही ,खुशबु तेरे हाथों की
शीतल अपना प्रांत कर रही, बारिश गहरी रातों की
ग्रीन ग्रीन माहोल कर रहा , मेहँदी का कुछ रंग है ऐसा
जीवन को मदहोश कर रहा, बंदु तेरा संग है ऐसा
दुश्मन जिसको रोक ना पाया, शीश महल से वीर वो निकला
चश्मा जिसको रोक ना पाया, तेरी नजर से तीर वो निकला
दिलों को सबके ग्रीन कर रहा, मौसम का कुछ ढंग है ऐसा
जीवन को मदहोश कर रहा, बंदु तेरा संग है ऐसा
दो दीवाने आज चल रहे , भूल के दुनिया सारी को
फूल बाग़ के एक हुए हैं , भूल के अपनी यारी को
मस्त दीवानी चाल चल रहा ,देखो वो भुजंग है ऐसा
जीवन को मदहोश कर रहा, बंदु तेरा संग है ऐसा