Green and Clean Power Projects in Delhi

बहुत अच्छा लगता है जब हमे दिल्ली में कुछ ऐसे घर देखने को मिलते हैं जो सूर्य के प्रकाश से बिजली जनरेट कर रहे हों. हाल ही मैं मैने कुछ बिजनस न्यूज़ कॉलम्स में पडा की कोयले के दाम महंगे हो गए हैं और अगर हम कोयला आयात करना चाहते हैं तो आयात या इम्पोर्ट का खर्चा बढेगा. और इस तरह पॉवर प्लांट्स को फेयूल पर जयादा पैसा खर्च करना पडेगा. इसका असर यह हो सकता है की काफी सारे पॉवर प्रोजेक्टस जो कोयले पर निर्भर हैं बंद हो सकते हैं.और इस तरह जो प्लांट्स already पॉवर जनरेट कर रहे हैं, उनको पॉवर प्रोडक्शन के रेट बढाने होंगे. और कंसुउमर यानी हमे वो सारा कास्ट्स भरना होगा. अभी हम कोयले के लिए रूस और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों पर निर्भर हैं. क्या कारण हैं की सोलर energy के प्रोजेक्ट्स आज भी दील्ली के हर घर तक नहीं पहुंचे ? क्या हमारे पास सोलर पनेल्स create करने के लिए सिलिकॉन की कमी है ? क्या  कारण है की हमे सिलिकॉन के लिए चाइना की कम्प्नीस पे निर्भर होना पड़ रहा है ? हाल ही में मैने पडा की हम Suntech Power से पौलिक्क्रिसतालिन सिलिकॉन का आयात कर रहे हैं. क्या हम कोई ऐसा कन्वर्टर नहीं बना सकते जो BIO गैस या नचरल गैस का इस्तेमाल करके पॉवर produce कर सके ? क्या हम अपने देश में ब्लूम अनर्जी जैसे प्रोजेक्ट्स स्टार्ट नहीं कर सकते ? क्या हम ऐसे अनर्जी सरवर नहीं बना सकते जो ग्रीन technology पे आधारित हों और कम फेयूल पे ज्यादा पॉवर दे सकें ? मैं जानता हूँ की आप सोच रहे होंगे की क्या कोई है जो इस तरह की शरुआत दिल्ली मैं कर सकता है ? क्या कोई है जो ग्रीन पॉवर प्रोजेक्ट्स में हमारी हेल्प कर सकता है ? तो मेरा जवाब है, हाँ दिल्ली में ऐसे organization हैं जो आपकी हेल्प कर सकते हैं. दिल्ली में इंडिया ईलाक्ट्रान Exchange लिमिटेड (पॉवर सेक्टर की information या जानकारी के लिए ) और ग्लोबल एनेर्जी लिमिटेड ऐसी organizations हैं जो आपकी मदद कर सकती हैं.

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Thanks to my School Teachers



This video is dedicated to all my school teachers, school staff, friends and principal. The best time span of my life, my school days. I assure my teachers that i will try my best to implement all teaching i was gifted from you to create a better and peaceful world. My dear teacher …. we still love you the most … and always remember your teachings and examples while performing each and every activity in our daily life. And we haven’t found and will never found anybody better than you. Thanks for everything ……

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A Day in Delhi Metro

सुबह हुई और हम ऑफिस के लिए निकले और पैदल चलते हुए सुबह की ठंडी हवा का मज़ा लेते हुए 10 मिनट में मेट्रो स्टेशन तक पहुँच गए . मेट्रो स्टेशन में इंटर करते हुए दो options मिले. की ऊपर कैसे जाओगे ? और हम बुजुर्गों और छोटे बच्चों की तरह औतोमटिक सीड़ी पे जा खडे हो गए. लेकिन अचानक हमे याद आया की अभी तो जिंदगी में हज़ारों सीड़ीआन चडनी हैं और हम अभी से अपने क़दमों को रोक कर खड़े हो गए. तभी किसी ने हमसे कहा की तुम्हे उल्टे हाथ से नहीं राईट से ऊपर चड़ना होगा. तुम्हे लेफ्ट ब्रेन से नहीं बल्कि राईट ब्रेन से चलना होगा. क्योंकि राईट ब्रेन राईट सीडिओं की तरफ ले जाता है और राईट सीड़ीआन राईट जिंदगी तरफ ले जाती हैं. फिर आगे बढते हुए हमे जब एक पोलिसे ऑफिसर ने चेक किया तो उनको हमने दिल से जय हिंद कहा और उनके इस काम और सेवा के लिए और हमारी रक्षा के लिए उठाएय जा रहे दिल्ली पुलिस के सुरक्षा क़दमों के लिए धन्यवाद कहा.फिर प्लात्फोर्म पर एक इलेक्ट्रोनिक बोर्ड को देखा और ३ मिनट के लिए हम मेट्रो प्लात्फोर्म पे लिखे मेसेज और बैनर पडने में व्यस्त हो गए. देखा के कुछ लोग बहादुरों की तरह संदेशों का उल्लंघन करते हुए पीली लाइन के आगे खड़ें हैं. गार्ड ने उनको एक छोटे नासमझ बचे की तरह पीछे हटाया. ३ मिनट में काफी बैनर दिखे लेकिन कोई ऐसा नहीं दिखा जो अपना सा लगे. सभी बैनर्स illusions ही लगे. ना कोई इश्वर का सन्देश था और ना ही कोई सकारात्मक कला या वाक्य. कुछ ही देर में सामने से डेल्ही की कुईन मेट्रो आ गयी तो हमने महिल्लाओं को दो ही डब्बों तक सीमित पाया. ऐसा लगा एक पिंजरे में कुछ लोगों को बंद कर दिया गया हो. सच कहूं तो अच्छा नहीं लगा. मेट्रो में प्रवेश करते ही एयर conditioner की ठंडी हवा हमारे सर पर पड़ी. एक कोने में देखा कुछ समझदार सिटिज़न्स दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा और बच्चों के हिंदी ज्ञान के बारे में वार्तालाप कर रहे थे तो हम भी उस वार्तालाप का हिस्सा हो गए और कुछ २० मिनट बाद जैसे ही हम बाहर निकले तो इस बार राईट साइड से ही ऊपर चड़ने का फैसला किया और सच में बहुत मज़ा आया.अपना कार्ड लगा कर जैसे ही हम बहार निकले ऐसा लगा किसी जंगे मैदान से बहार निकले. कुछ यूवाओं को सीडिओं पर किसी का इंतज़ार करते हुए पाया और जैसे ही बहार निकले, हिन्दोस्तान की सबसे बड़ी बिमारिओं गरीबी और बेरोजगारी के दर्शन हुए. क्या हम इतने कमजोर हो गए हैं की साथ मिल कर भी इन् दोनों बिमारिओं को ख़तम ना कर सकें ?

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