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अभिमन्यु को सब आज बचाओ


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देश की ये पंक्तियाँ, इक दिन कम हो जाएंगी
सब दूर दूर हो जाएंगे, और आँखें नम हो जाएंगी
जो अकेला था कभी, उदासी की छावँ में
साथ हमारे आज खड़ा है, शहर में और गाँव में
उसकी ये सूखी आँखें, इक दिन नम हो जाएंगी
जब रोता मासूम हँसेगा, चिंता कम हो जाएगी
सब दूर दूर हो जाएंगे, और आँखें नम हो जाएंगी
देश की खातिर आज खड़े हैं, पैसे तो बहाना है
उस पीतल की चिड़िया को हमने, सोने का बनाना है
आतंक का सर आज झुकेगा, छुरी मलहम हो जाएंगी
जब रोता मासूम हँसेगा, चिंता कम हो जाएगी
सब दूर दूर हो जाएंगे, और आँखें नम हो जाएंगी
हिन्दू मुस्लिम एक हुआ है, जो इनसे टकराएगा
टक्कर खा कर पंक्ति से , सर उसका चकराएगा
जिसमे तेरे प्राण फंसे हैं , वो माया भ्र्म हो जाएगी
जब रोता मासूम हँसेगा, चिंता कम हो जाएगी
सब दूर दूर हो जाएंगे, और आँखें नम हो जाएंगी
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धुंए का ये बादल देखो, हमने आज बनाया है
अर्जित नहीं किया है उतना, जितना आज गवाया है
शहर की अपने हुई तररक्की, दुनिया रह गई हक्की बक्की
पोल्लुशन की दौड़ में हमने , नंबर एक जो पाया है
इतना क्यों मजबूर हुए हम, पैदल चलना भूल गए
दो पैसे की अक्ल ना पाई, काहे हम सब स्कूल गए
अपनी अपनी कार घुसाकर, ट्रैफिक जैम लगाया है
पोल्लुशन की दौड़ में हमने , नंबर एक जो पाया है
काहे तू बस अपनी सोचे, अपनों की भी सोच ले
साँसे तेरी बंद हो रही, ऑक्सीजन का डोस ले
शहर को अपने नरक बनाया, क्या तूने आज कमाया है
पोल्लुशन की दौड़ में हमने , नंबर एक जो पाया है
गुस्सा अपना ख़तम करो अब, कार चलाना आज छोड़ दो
मेट्रो से भई ट्रेवल कर लो, खाली कर दो आज रोड को
भुगत रहे फल हरपल हमसब, कूड़ा जो फैलाया है
पोल्लुशन की दौड़ में हमने , नंबर एक जो पाया है
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