अपना वाहन त्याग के अब तो , दिल्ली मेट्रो पकड़ लो भाई

delhi metro

पोलूशन को टाटा करके , ग्रीन टेक को जकड लो भाई
अपना वाहन त्याग के अब तो , दिल्ली मेट्रो पकड़ लो भाई
जला रहे क्यों जीवन सबका, प्रदुषण की ज्वाला से
शहर को अपने स्वर्ग बनाओ, कृष्ण पुष्प की माला से

जहर उगलती कारों का, मेला सुबह शाम लगा है
दिल्ली के हर कोने में , देखो कितना जाम लगा है
शहर को अपने आज बचा लो, अपने ग्रीन विचारों से
मुक्त करो अब दिल्ली को, जहर उगलती कारों से

छोटा सा ही निर्णय होगा, बड़ा नहीं ये काम है कोई
चल पड़ेगा  शहर ये सारा, चल पड़ेंगी टाँगे सोयी
आओ चल कर स्वर्ग बनाएं, दिल्ली की इन सड़कों को
पैदल चल कर सबक सिखाएं, रजो गुणी इन् लड़कों को

Loading

हर इंसान इस शहर का, बस चलना सीख जाए

walk

सुखमय इस जीवन की, ज्योति नजर आए
खुद भी जल्दी उठे रोज, सबको वो उठाए
गाड़ी से उतरकर, साइकिल वो चलाए
हर इंसान इस शहर का, बस चलना सीख जाए

इतना ही बस मैसेज है, मिशन ग्रीन ब्लॉग का
जहर इस दुनिआ से, रुक्सत हो रोग का
खाने पर कंट्रोल करे, योगा को अपनाए
गाड़ी से उतरकर, साइकिल वो चलाए
हर इंसान इस शहर का, बस चलना सीख जाए

मिशन ग्रीन दिल्ली की, गा रहा हूँ कविता मैं
खो रहा हूँ आज मैं, कृष्ण प्रीत की सविता में
खो गया जो हेल्थी बचपन, उसको आज बुलाए
गाड़ी से उतरकर, साइकिल वो चलाए
हर इंसान इस शहर का, बस चलना सीख जाए

– मिशन ग्रीन दिल्ली ब्लॉग

Loading

उसको तू उठा ज़रा, सूरज तू दिखा ज़रा

utha

जीवन में अपने, आ काम कर दें धांसू
आ पोंछ दे चल के, उस मजबूर के आंसू
जो रोता है अकेला, डरता है सोने में
मानस जो तड़प रहा,  घर के किसी कोने में
जिंदगी से हार गया है, तूफ़ान जिसे मार गया है
उसको तू उठा ज़रा, सूरज तू दिखा ज़रा

रोक के जो बैठा है, वर्षा के पानी को
मूक हो रहा जीवन जिसका, तरस रहा है वाणी को
उस बाँध को तोड़ दें , चल चलकर उसको जोड़ दें
ग्रीन टेक का ज्ञान दे, कर दे जीवन हरा भरा
उसको तू उठा ज़रा, सूरज तू दिखा ज़रा

मिशन ग्रीन का एक लब्ज़, होठों से बोल दे
शीतल कर दे मन उसका, सोम रस तू घोल दे
पंखियाँ उसे प्रदान कर, आसमा में उड़ने की
शक्ति उसे प्रदान कर, जीवन में लड़ने की
हर पल यूँ ही हँसते रहना, उसको तू सिखा ज़रा
उसको तू उठा ज़रा, सूरज तू दिखा ज़रा

Loading

What are you looking for ?

    ×
    Connect with Us

      ×
      Subscribe

        ×