कब तक पत्थर बने रहोगे, कभी तो तुम इंसान बनोगे

माया का जब मार्ग छोड़कर, कर्मों पर पछताओगे
सच्चे जब इंसान बनोगे, माफ़ी तब तुम पाओगे
मिशन ग्रीन के साथ चलोगे, बुधि को बलवान करोगे
कब तक पत्थर बने रहोगे, कभी तो तुम इंसान बनोगे

प्यूरिटी को तुम गले लगा के, इंटरनेट को साफ़ रखोगे
वादा करलो खुद से बंधू , अपनों को तुम माफ़ करोगे
शहर कि खातिर काम करोगे, देश कि तुम पहचान बनोगे
कब तक पत्थर बने रहोगे, कभी तो तुम इंसान बनोगे

बचपन से जो साथ दे रहे, उनका साथ ना छोड़ोगे
केअर करोगे हर पल उनकी, उनसे मूह ना मोड़ोगे
मात पिता के चरणो में , देश का अपने काम करोगे
कब तक पत्थर बने रहोगे, कभी तो तुम इंसान बनोगे

ओबसीन नहीं सोच तुम्हारी, ओबसीन क्यों कपडे हैं
अपनों का जो नाश कर रहे, मदिरा के सब लफड़े है
ग्रीन टेक कि कविता सुनकर, शहर कि अपने शान बनोगे
कब तक पत्थर बने रहोगे, कभी तो तुम इंसान बनोगे

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