नोटबंदी की पंक्तियाँ

देश की ये पंक्तियाँ, इक दिन कम हो जाएंगी
सब दूर दूर हो जाएंगे, और आँखें नम हो जाएंगी
जो अकेला था कभी, उदासी की छावँ में
साथ हमारे आज खड़ा है, शहर में और गाँव में
उसकी ये सूखी आँखें, इक दिन नम हो जाएंगी
जब रोता मासूम हँसेगा, चिंता कम हो जाएगी
सब दूर दूर हो जाएंगे, और आँखें नम हो जाएंगी

देश की खातिर आज खड़े हैं, पैसे तो बहाना है
उस पीतल की चिड़िया को हमने, सोने का बनाना है
आतंक का सर आज झुकेगा, छुरी मलहम हो जाएंगी
जब रोता मासूम हँसेगा, चिंता कम हो जाएगी
सब दूर दूर हो जाएंगे, और आँखें नम हो जाएंगी

हिन्दू मुस्लिम एक हुआ है, जो इनसे टकराएगा
टक्कर खा कर पंक्ति से , सर उसका चकराएगा
जिसमे तेरे प्राण फंसे हैं , वो माया भ्र्म हो जाएगी
जब रोता मासूम हँसेगा, चिंता कम हो जाएगी
सब दूर दूर हो जाएंगे, और आँखें नम हो जाएंगी

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