इन् गुंडों को सजा दिलाकर, शहर बचाएं शहर बचाएं

शर्मसार ये शहर हुआ है, टूट गए अब सारे सपने
कैसे देखो काण्ड हो रहे, क्या हो गया शहर को अपने
इन असामाजिक तत्वों को, आओ मिलकर सबक सिखाएं
इन् गुंडों को सजा दिलाकर, शहर बचाएं शहर बचाएंचोरी करते इन हाथों को, जल्दी से तुम आज मोड़ दो
बंदूके जो आज उठाए, उनके बॉडी पार्ट मोड़ दो
ऐसा सबक सिखाओ इनको, अपना हर्ष ये स्वयं बताएँ
इन् गुंडों को सजा दिलाकर, शहर बचाएं शहर बचाएं

काम करें ना स्वपन में ऐसा, इनको ऐसा पाठ पड़ा दो
बलात्कारी इन् पशुओं को, सूली पर तुम आज चढ़ा दो
ना घर में यूँ चुप चाप बैठकर, अपनी इज़्ज़त आज गवाएं
इन् गुंडों को सजा दिलाकर, शहर बचाएं शहर बचाएं

सबक इन्हे अब तभी मिलेगा, पकड़ो इनके परिवारों को
अहसास दर्द का तभी मिलेगा, चोट लगेगी जब प्यारों को
मूह काला करके बीच सड़क पे, वस्त्रहीन फिर इन्हे भगाएं
इन् गुंडों को सजा दिलाकर, शहर बचाएं शहर बचाएं

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