घुटन भरी इन् कारों में , खो गया हूँ मीनारों में
गर्मी पल पल बड़ रही है, बिजली की इन् तारों में
शहर में अपने क्रोध पल रहा, दिल अचानक क्यों जल रहा
देखो जल्दी क्या छपा है, दिल्ली की अखबारों में
दिल्ली की इस नगरी में , हर ईमारत बड़ रही है
बुरी नजर से डरते डरते, देखो औरत लड़ रही है
धोका खाकर अपनी जनता , खो गयी है नारों में
शहर में अपने क्रोध पल रहा, दिल अचानक क्यों जल रहा
देखो जल्दी क्या छपा है, दिल्ली की अखबारों में
करते करते उसकी पूजा, धन की पूजा शुरू हो गयी
प्रभु रूप थी देख रही जो, देखो नजरें कहाँ खो गयी
शीतलता भी ख़तम हो रही, बारिश की फुहारों में
शहर में अपने क्रोध पल रहा, दिल अचानक क्यों जल रहा
देखो जल्दी क्या छपा है, दिल्ली की अखबारों में
– पुनीत वर्मा की कलम से … greentechdelhi.com
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