आखिर क्या हुआ था ?

आखिर क्या हुआ था की सोने की चिड़िया कहा जाने वाला देश आज पीतल की चिड़िया बन गया. क्यों देश में लालच, अपराध और बीमारियों ने अपना घर बना लिया। पिछले दो सौ साल में ऐसा क्या हो रहा है की हम आर्थिक तौर पर गीरते ही जा रहे हैं. वो कौन से दानव हैं जिनको हम अपने घर से बाहर नहीं निकाल पा रहे हैं. क्या इसका कारण सौ साल पहले तक्षिला गुरु कुल को आग लगाना है. क्या इसका कारण सौ साल पहले शराब को कलकत्ता शहर में आमंत्रित करना है ? क्या इसका कारण सौ साल पहले वैश्य्व्रती को आमंत्रित करना है ? क्या इसका कारण सौ साल पहले विदेशी रेसेअर्चेर्स को आमंत्रित करना है ?

यह वही देश है जहां ब्राह्मी और देवनागरी लिपि का आविष्कार हुआ और पूरी दुनिया ने अपनी भाषाओं का आविष्कार इसे किया। ये वही देश है जहां आर्य भट्ट जैसे गणितज्ञ हुए और उन्होंने समय को मापना को सिखाया  जिसेसे पूरा विश्व आज काम कर रहा है.  ये वही देश है जहां का स्टील पूरी दुनिया में सोने के बदले खरीदा जाता था और उसी स्टील से सर्जरी के उपकरण बनाए जाते थे. ये वही देश है जहां बालक साड़े पांच साल से चौदह वर्ष में ही विज्ञानिक पंडित बन जाया करते थे. ये वही देश है जिसके ग्रंथों का अध्यन पूरी दुनिया ने किया और कई आविष्कार किये। ये वही देश है जिसको मकौले जैसे अंग्रेज ने गरीबी रहित, बेरोजगारी रहित और चोरी चकारी रहित देश बताया था।

अब सवाल ये है की क्या हम शराब को त्याग पाएंगे ? क्या हम अश्लीलता को त्याग पाएंगे ?  क्या हम अपने ग्रंथों को खोज कर उनका अध्यन कर पाएंगे ? अगर ऐसा हुआ तो हम फिर से सोने की चिड़िया बन जाएंगे और खजाना खोजने के लिए किसी भूमि को खोदने की जरुरत नहीं पड़ेगी।

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