घर से हूँ निकला , इबादत के विमान में – बस तेरा नाम लेके, खुशिओं के जहान में
मोह्हबत की बगिया में, मैं लड़ता हुआ जा रहा हूँ – ग्रीन टेक की दुनिया में , मैं उड़ता हुआ जा रहा हूँ
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नीले अम्बर के साथ, और सुबह के आँचल में – ना ही शिमला में, ना ही उत्तरांचल में
दिल्ली की सड़क पर, मैं बढता हुआ जा रहा हूँ – ग्रीन टेक की दुनिया में , मैं उड़ता हुआ जा रहा हूँ
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प्रेम पथ के किनारों पर , यूँ प्यार का लगा के बूटा – तेरी हंसी का ध्यान करके, अक्षरधाम है पीछे छूटा
मिशन ग्रीन की पोथी को, मैं पड़ता हुआ जा रहा हूँ – ग्रीन टेक की दुनिया में , मैं उड़ता हुआ जा रहा हूँ