कभी कभी आप जब भी इस ग्रीन दिल्ली ब्लॉग पर लैंड करते होंगे तो सोचते होंगे की ब्लॉग का नाम तो मिशन ग्रीन दिल्ली है लेकिन इस पर यह कविताएँ और कहानीयां क्यों दिखाई देती हैं. तो इसका कारण है हमारा विश्वाश. हमारा विश्वाश ये कहता है की हम अपने शहर को तब तक ग्रीन नहीं बना सकते जब तक हम अपने दिल को ग्रीन या सम्रध नहीं बनाते. जिस व्यक्ति का का मन और बुद्दी ग्रीन होने लगती है उसी से मिशन ग्रीन की शुरुआत होती है. और मैं ये मानता हूँ की जो व्यक्ति शास्त्रों को जानता है और उनसे सीखने का प्रयास करता है वो ग्रीन होना शुरू हो जाता है. और जब ऐसा व्यक्ति किसी टेकनोलोजी पर काम करता है या आविष्कार करता है तो वो मानवता के विकास के लिए होती है, ना की उसके खिलाफ. मेरी कविताओं और कहानिओं में आपको थोड़ी मस्ती, थोडा बचपना, थोडा प्यार और इश्वर का जिक्र मिलेगा जो हमे इश्वर से जुड़ने और सम्रध या ग्रीन हूमन बनने की राह पर लेके जाता है. मैं उस शहर का सपना देखता हूँ जहां किसी पशु, पक्षी की ह्त्या ना हो, किसी व्यक्ति के अधिकारों ना छीने जाएं, जरुरतमंदो की मदद हो सके, बुजुर्गों की सेवा और सम्मान हो, हर व्यक्ति को रोजगार मिले, हर व्यक्ति के पास समाज सेवा करने के लिए पर्याप्त समय हो, दिल में प्रेम हो . मैं हर पल सोचता हूँ की हम अपनी ऊर्जा को सही दिशां में ले जाएं जिससे समाज का भला हो. हम अपने ज्ञान और विज्ञान को सही दिशा दें जिससे मानवता का भला हो. हम अपने इस शरीर रूपी मंदिर को साफ़ करें, पर्याप्त आराम दें और इसे इश्वर और मानवता की सेवा में लगाएं. हम उन् सभी अविष्कारों का त्याग करें जिससे मानवता शरमशार हो रही है. और उन अविष्कारों और ग्रंथों का अध्यन करें जो हमे आत्म यथार्य और आनंद की दिशा में ले जाता है जिसको मैं ग्रीन हुमन भी कहता हूँ.