कहा जाता है की स्वछता घर में सुख समृद्धि लेकर आती है। जहां स्वछता है, वहाँ लक्ष्मी का वास होता है। जिसका शहर और देश स्वच्छ है, वहाँ स्वयं ईश्वर विद्यमान होते हैं। मोदी जी का स्वच्छ भारत अभियान भी देश में हरयाली और तरक्की लेकर आये ये उम्मीद करता हूँ।
सवाल ये है की स्वछता कैसे लाइ जाए ? क्या सिर्फ घर और बाहर का कूड़ा साफ़ कर देने मात्र से स्वछता आ जाएगी ? क्या सिर्फ नदी नालों को साफ़ कर देने मात्र से हम स्वच्छ हो जाएंगे ? स्वच्छ वातावरण के साथ साथ स्वच्छ मन भी होना अनिवार्य है। मन की स्वछता सद विचारों से लाइ जा सकती है।
कल गांधी जी का जनम दिवस है और हम घर और बाहर की सफाई तो करेंगे ही लेकिन उसी के साथ साथ मिशन ग्रीन की कविताएँ गाकर मन को भी शुद्ध करेंगे। उम्मीद करता हूँ की शहर में हर दूकान के आगे एक कूड़ा दान देखने को मिलेगा। और आने वाले महीनों में हर एक किलो मीटर में एक शौचालय देखने को मिलेगा। केवल इतना ही नहीं, उम्मीद करता हूँ की दूकानदार polythene देना बंद कर देंगे और हम खरीदारी करने थैला लेकर जाएंगे। यमुना में कूड़ा डालना बंद कर देंगे, पेड़ लगाना शुरू कर देंगे और वाहन का उपयोग कम कर देंगे। गांधी जी की तरह सिर्फ पैदल ज्यादा चलेंगे।
पब्लिक प्लेस पर थूकना, मूत्र त्यागना और पालतू कुत्तों से मल करवाना बंद करना होगा। अगर घर में कोई खराब चीज़ है तो ठीक करवाएंगे, पुराने केलिन्डर, बंद घड़ी उतार देंगे, नए केलिन्डर लगाएंगे। ईश्वर के पूजा स्थलों को साफ़ रखेंगे, अपने ऑफिस, अस्पताल, स्कूल और कॉलेज को साफ़ रखेंगे, बसों और ट्रेनों को साफ़ रखेंगे। हर कोने पर कूड़े दान लगाएंगे।