हर इंसान इस शहर का, बस चलना सीख जाए

सुखमय इस जीवन की, ज्योति नजर आए
खुद भी जल्दी उठे रोज, सबको वो उठाए
गाड़ी से उतरकर, साइकिल वो चलाए
हर इंसान इस शहर का, बस चलना सीख जाए

इतना ही बस मैसेज है, मिशन ग्रीन ब्लॉग का
जहर इस दुनिआ से, रुक्सत हो रोग का
खाने पर कंट्रोल करे, योगा को अपनाए
गाड़ी से उतरकर, साइकिल वो चलाए
हर इंसान इस शहर का, बस चलना सीख जाए

मिशन ग्रीन दिल्ली की, गा रहा हूँ कविता मैं
खो रहा हूँ आज मैं, कृष्ण प्रीत की सविता में
खो गया जो हेल्थी बचपन, उसको आज बुलाए
गाड़ी से उतरकर, साइकिल वो चलाए
हर इंसान इस शहर का, बस चलना सीख जाए

– मिशन ग्रीन दिल्ली ब्लॉग

उसको तू उठा ज़रा, सूरज तू दिखा ज़रा

जीवन में अपने, आ काम कर दें धांसू
आ पोंछ दे चल के, उस मजबूर के आंसू
जो रोता है अकेला, डरता है सोने में
मानस जो तड़प रहा,  घर के किसी कोने में
जिंदगी से हार गया है, तूफ़ान जिसे मार गया है
उसको तू उठा ज़रा, सूरज तू दिखा ज़रा

रोक के जो बैठा है, वर्षा के पानी को
मूक हो रहा जीवन जिसका, तरस रहा है वाणी को
उस बाँध को तोड़ दें , चल चलकर उसको जोड़ दें
ग्रीन टेक का ज्ञान दे, कर दे जीवन हरा भरा
उसको तू उठा ज़रा, सूरज तू दिखा ज़रा

मिशन ग्रीन का एक लब्ज़, होठों से बोल दे
शीतल कर दे मन उसका, सोम रस तू घोल दे
पंखियाँ उसे प्रदान कर, आसमा में उड़ने की
शक्ति उसे प्रदान कर, जीवन में लड़ने की
हर पल यूँ ही हँसते रहना, उसको तू सिखा ज़रा
उसको तू उठा ज़रा, सूरज तू दिखा ज़रा

मन की स्थिरता शुरू हो गयी

हंसी तुम्हारी कहाँ खो गयी, आँखें भी अब गुमसुम हो गयी
दुनिआ तुमको झूठ लग रही,  कैसी दुविधा आज हो गयी
उड़ता पंछी कहाँ खो गया, मुक्त तुम्हारा हृदय हो गया
बहती नदिया झील बन गयी,मन की स्थिरता शुरू हो गयी

योगी जीवन योगी काया, बाकी सब कुछ सिर्फ है माया
कलियाँ सारी आज सो गयी , जो थी होनी आज हो गयी
चिंतित बुद्धि शांत हो गयी , मन का सूरज उदय हो गया
बहती नदिया झील बन गयी,मन की स्थिरता शुरू हो गयी

सुख दुःख का ये खेल सताए , जीत हार का जाल बिछाये
मिशन ग्रीन का जादू ऐसा , हमको तो ब्रह्माण्ड बुलाए
शांत आपका हृदय हो गया, कविता मेरी सफल हो गयी
बहती नदिया झील बन गयी,मन की स्थिरता शुरू हो गयी

– पुनीत वर्मा की कलम से

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