जिंदगी की सड़क पर, हम कहाँ आ गए
छोड़ के उस वक़्त को, जो बड़ा मासूम था
बरखा में भीगे पत्तों सा, वृक्षों में जो गुम था
उस रस्ते से निकलकर, हम कहाँ आ गए
जिंदगी की सड़क पर, हम कहाँ आ गए
ऐ वक़्त ऐ रहनुमा, करता हूँ मैं इल्तज़ा
चिंतामई इस युग से अब, वापस मुझको लेकर जा
लड़खड़ाते इन क़दमों से, हम कहाँ आ गए
जिंदगी की सड़क पर, हम कहाँ आ गए
क्यों बिछड़ कर चले गए, सर्जक जो हमारे थे
दिल के नजदीक थे, और बहुत प्यारे थे
लगता नहीं अब कोई अपना, हम जहां आ गए
उस रस्ते से निकलकर, हम कहाँ आ गए