अठारह से पैंतीस की उम्र में हार्ट प्रोब्लेम्स

heart disease young age

कितना अजीब लगता है जब हम अपनी छोटी सी उम्र में हार्ट की बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। क्या कारण है की अठारह से पैंतीस साल के युवक भी बढ़ते कोलेस्ट्रॉल से बच नहीं पाते। क्या आज का वर्किंग लाइफस्टाइल इसके लिए जिम्मेदार है। योग और जिम के होते हुए भी क्यों हम वर्क आउट नहीं कर पाते हैं। आखिर अपने ही शरीर के लिए वक़्त निकालना क्यों मुश्किल हो गया है। क्यों अपने खाने पर धयान देना हम जरुरी नहीं समझते है।

सच तो ये है की आज का युवा आलसपन का शिकार होता जा रहा है। कहीं भी जाना है तो स्कूटर या बाइक का सहारा ले लेते है। सीढ़ियां चढ़ना अपनी शान के खिलाफ समझते है और लिफ्ट या एस्कॉलटर का प्रयोग करते है। अपना काम जैसे कपडे धोना, घर की सफाई करना और खाना बनाना अब हमने दूसरों को आउटसोर्स कर दिया है। अगर ऐसा हो रहा है तो वो वक़्त भी दूर नहीं है जब हमे चलने के लिए भी दूसरों का सहारा लेना पड़ेगा।

बेहतर होगा अगर हम अपने खाने पर ध्यान दें। खाने में आवंला, लहसुन और नीम्बू जरूर लें। चाहे तो इन सब को अचार की तरह उपयोग करें। ज्यादा से ज्यादा चलने की कोशिश करें। सुबह कपालभाति और लोम विलोम प्राणायाम करें और अपने परिवार को भी ऐसा करने के लिए कहें। ज्यादा मीठी और खट्टी चीज़ों को धीरे धीरे कम कर दें। अगर आप शारीरिक वर्क आउट नहीं कर पाते हैं तो ऐसी चीज़ें जो डाइजेस्ट ना हों कम ही खाएं। घी, तेल और दूध से बनी चीज़ों का उपयोग कम कर दें। लौकी, करेला और मूंग की दाल का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करें। आज ही पतले और मजबूत बनने का प्रण लें।

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छोड़ के सब कुछ इस मिटटी में , कहीं अचानक खो जाएगा

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मन को अपने शांत करो अब , इतना क्यों तुम तड़प रहे हो
सबको जल्दी माफ़ करो अब , इतना क्यों तुम भड़क रहे हो
पल दो पल का खेल है सारा, खत्म तू पल में हो जाएगा
छोड़ के सब कुछ इस मिटटी में , कहीं अचानक खो जाएगा

क्यों तू इतने ख्वाब सजाए , इतने सारे महल बनाए
फसकर इन सब चीज़ों में, क्यों तू सर का भोझ बढ़ाए
प्रभु प्रेम का गाना सुनकर, पल में अब तू सो जाएगा
छोड़ के सब कुछ इस मिटटी में , कहीं अचानक खो जाएगा

निकल जा घर से लोक भ्रमण पर , जीवन अपना आज तू जी ले
छोड़ के सब कुछ जैसा तैसा, ग्रीन टेक का प्याला पी ले
मिशन ग्रीन की कविता सुनकर , मुक्त अभी तू हो जाएगा
छोड़ के सब कुछ इस मिटटी में , कहीं अचानक खो जाएगा

भूल के सारी दुनिआ को, वर्मा कविता लिख रहा है
दिल्ली का हर शांत हृदय अब , मिशन ग्रीन पे दिख रहा है
अंधकारमय बुद्धि में अब, आज सवेरा हो जाएगा
छोड़ के सब कुछ इस मिटटी में , कहीं अचानक खो जाएगा

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