The Art of Risk Management

हमने सुना है की जिंदगी में अगर तर्रक्की करनी हो तो रिस्क लेना जरूरी है. लेकिन वो मनुष्य जो अपनी मेहनत से बनाए गए तत्वों और प्रक्रियाओ पर होने वाले आक्रमण पर भी विचार करता है, और उनसे निबटने के लिए प्लान बनाता है बुद्धिमान कहलाता है. और इस तरह वो भविष्य में किसी भी जोखिम को मैनेज कर लेता है और उसके परिणाम और सुन्दर होते हैं. किसी भी रिस्क या डिसास्टर को अगर प्लान करना हो तो हमे अपने बुजुर्गों और seniors और गुरुओं से guidance लेनी चाहिए और हमारी कार्य प्रक्रिया उनसे शेयर करनी चाहिए. अगर हम एक कर्मचारी हैं तो हमे अपनी प्रक्रिया के मॉडल को समझना चाहिए, उसको analyse करना चाहिए, फिर एक प्लान बना कर उसको ट्रैक करना चाहिए, और tracking के बाद उसको कण्ट्रोल और mitigate  करने के लिए एक्शन परफोर्म करना चाहिए. किसी भी रिस्क को manage करने के लिए विचार और research करना जरूरी है. और मैं देख रहा हूँ आजकल technology हमारी जिंदगी में होने वाले disasters और रिस्क्स को प्लान करने में हमारे बहुत मदद कर रही है. आजकल जिंदगी में होने वाले हर रिस्क को researchers द्वारा पहले से ही प्लान कर लिया जाता है जिससे भविष्य में उसका प्रभाव हमपर कम से कम पड़े और नुक्सान कम हो.  मैं तो यही कहूँगा की आप जो भी बिज़नस कर रहे हों , आज ही किसी रेसेअर्चेर या analyst की मदद लें और अपने रिस्क्स को प्लान करें, ताकि आपको , आपके परिवार को और आपके कर्मचारिओं को एक सुन्दर जीवन की प्राप्ति हो.

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वेबसाइट कैसे खोलते हो ?

क्या आप जानते हैं की आप इन्टरनेट कैसे एक्सेस करते हैं. आप अगर इस समय अपने कंप्यूटर या लैपटॉप पे बैठे हैं तो सुनिए. मैं जब अपने घर में अपने कंप्यूटर से किसी वेबसाइट का एड्रेस अपने कंप्यूटर पे डालता हूँ तो वो वेबसाइट एड्रेस एक नंबर में बदल जाता है जिसको हम आई पी एड्रेस भी कहते हैं. इस वेबसाइट एड्रेस को नंबर में बदलने का काम DNS मशीने  करती है जिसके दो नंबर या तो हम अपने कंप्यूटर की TCP / IP सेट्टिंग में डालते हैं या हमारे मोडेम में डाला जाता है. और वो नंबर एक तार जिसको RJ -45 भी कहते हैं, के द्वारा हमारे कंप्यूटर के पीछे लगे लान कार्ड से हो कर मेरे मोडेम तक पहुँचता है. मेरा मोडेम एक डिब्बी से जुड़ा हुआ है जिसे splitter भी कहते हैं. यह डिब्बी हमे हमारे ISP या इन्टरनेट सेवा प्रदान करने वाले टेलेफ़ोन ऑफिस से जोडती है. इस डिब्बिया के दूसरी पोर्ट या hole में हम एक तार जीसको RJ 11 भी कहते हैं के जरिये टेलेफ़ोन जोड़ सकते हैं. और फिर इस डिब्बिया के तीसरे hole से एक कापर की तार और फाइबर की तार हमे टेलेफ़ोन के दफ्तर तक ले जाती है. टेलेफ़ोन दफ्तर में एक डिब्बा जीसको हम IPDSLAM भी कहते हैं वो ऐसी कई तारों के  कुन्ड की तरह काम करता है. यह IPDSLAM हमे एक पॉइंट जीसको हम NAP नेटवर्क एक्सेस पॉइंट कहते हैं के जरिये हमे दूसरे इन्टरनेट दफ्तरों से कोन्नेक्ट करता है. और हर NAP फाइबर ऑप्टिक से बनी तारों के समूह जीसको backbone भी कहते हैं के जरिये  हमे दूसरे देशों से जोड़ता है. यह फाइबर ऑप्टिक की तारें कई किलो मीटर तक बिच्छी रहती हैं और कई tera bytes का डाटा भेजने में सक्षम होती हैं. कई बार समंदर में बिच्छी यह तारें खराब हो जाती हैं और हमारे NAP में जीसको govt manage करती है इन्टरनेट की सेवा बंद हो जाती है. अब अगर सेवा चल रही है तो मेरा नंबर इन् सब रास्तों से होकर उस मशीन तक पहुँच जाएगा जिसपर वेबसाइट रखी  हुई है. उस मशीन पर एक वेबसाइट को चलाने वाला सॉफ्टवेर चल रहा है जीसको हम ज्यादातर Apache या IIS कहते हैं जो हमारे इन्टरनेट एक्स्प्लोरर या Firefox Browsers को वेबसाइट का पेज भेजता है. और इस तरह हम फसबूक या जीमेल खोल पाते हैं.

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